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खतरे में है हमारा ‘शापित’ पड़ोसी देश

हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान एक ऐसा अभिशप्त देश है जो स्वाधीनता प्राप्ति…

10:42 AM May 04, 2025 IST | Dr. Chander Trikha

हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान एक ऐसा अभिशप्त देश है जो स्वाधीनता प्राप्ति…

खतरे में है हमारा ‘शापित’ पड़ोसी देश

हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान एक ऐसा अभिशप्त देश है जो स्वाधीनता प्राप्ति के 78 वर्ष बाद भी श्रापग्रस्त है। उसे अपने ही अस्तित्व के खिलाफ जूझते रहने का श्राप 14-15 अगस्त, 1947 की रात को ही मिला था। तब से लेकर अब तक उसके कई राष्ट्राध्यक्षों के प्राण वहां के अपने ही लोगों ने ले लिए थे।

वहां के प्रथम राष्ट्रपति इस्कंदर ​मिर्जा को देश से भाग कर जान बचानी पड़ी थी। उसके प्रथम गवर्नर जनरल एवं संस्थापक माने जाने वाले कायदे आजम जिन्नाह अपने पद पर एक वर्ष भी पूरा नहीं रह पाए। उनकी मृत्यु बेहद घुटन भरे माहौल में हुई थी। वहीं के लोगों ने अपने कायदे आजम की बहन फातिमा जिन्नाह को पहले ही चुनाव में बुरी तरह पराजित कर दिया था। देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की एक सार्वजनिक सभा में हत्या हो गई थी और यही स्थिति उसके अन्य सूत्रधारों को लम्बी अवधि तक भोगनी पड़ी। एक पूर्व प्रधानमंत्री ​जुल्फिकार अली भुट्टो को अपनी ही सरकार में फांसी पर लटका दिया था। उन्हीं भुट्टो महोदय की बेटी एवं बाद में प्रधानमंत्री बनी बेनजीर भुट्टो की भी हत्या हो गई थी। एक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी पहले तो लम्बी अवधि तक अपने ही देश में कैद में रहना पड़ा, बाद में देश-निर्वासन का दण्ड भी भोगा।

एक और राष्ट्रपति जनरल इरशाद को भी अपनी जान बचाने के लिए विदेश में जाकर निर्वासन की जिंदगी बिताने पर मजबूर होना पड़ा। एक पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय भी सपरिवार जेल की सलाखों के पीछे हैं। वहां की जनता का एक विशाल बहुमत भुखमरी, बेरोजगारी, अराजकता व आतंकवाद की गिरफ्त में है।

1965 में भारत से युद्ध में मिली पराजय के बाद भी इस देश ने कुछ नहीं सीखा। वर्ष 1971 में यह देश भारत के साथ ही युद्ध में दो टुकड़ों में बंट गया। उसका एक बड़ा भाग बंगलादेश के रूप में सामने आया। अब वहां भी वही हालात हैं जो पाकिस्तान में थे। इस पाकिस्तान के दो अन्य प्रांत बलूचिस्तान और पख्तूनवा, विद्रोह की आग में जल रहे हैं। अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तान बुरी तरह से उलझा हुआ है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि देर-सवेर यह बचा-खुचा देश तीन टुकड़ों में बंटेगा। उसके अपने ही खिलाड़ी, अभिनेता, लेखक, शायद रंगकर्मी, अपने ही मुल्क में अपने अस्तित्व के लिए खतरा बने हुए हैं। सूफी मजारों पर भी आतंकी विस्फोट कई बार हो चुके हैं।

इस समय स्थिति यह है कि भारत के साथ नवीनतम टकराव में यह देश अपनी विश्वसनीयता भी खो चुका है। कोई भी देश पा​िकस्तान को मदद देने को तैयार नहीं है। वहां के बड़े-बड़े धर्म-संस्थान आतंकवाद की नर्सरी बनते जा रहे हैं। यह फैज अहमद फैज, मंटो, कासमी, हबीब जालिब, आबिदा, रेशमां, नुसरत फतेह अली खां व गुलाम अली और मेहंदी हसन का देश है, मगर यह हकीकत स्वयं यहां के लोग भी भूलते जा रहे हैं। सिंधु जल समझौता, जब तक स्थगित रहेगा, यह निश्चित है कि पाकिस्तान के खेतों व किसानों की सांसें घुटती रहेंगी। अब स्वयं ही शिमला-समझौता तोड़कर पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर के द्वार भी हमारे लिए खोल दिए हैं।

इस देश ने 78 वर्षों के अपने सियाह-अतीत से कोई सबक नहीं लिया और अब वहां पूरी तरह अराजकता का माहौल है। भारत के लिए चिंता का विषय है कि एक अराजक व श्रापग्रस्त पड़ोसी से मुक्ति कैसे मिले? आने वाले दिन इस देश के लिए अच्छे नहीं हैं। क्या होगा, यह स्वयं इस देश के नेताओं को भी मालूम नहीं है। वर्ष 1958 में पाक सेना ने पहला तख्ता पलट ​किया। अगले 13 वर्ष तक सत्ता फौजी जनरलों के हाथों में केंद्रित रही। वर्ष 1958 से 1988 और 1999 से 2007 तक यही सिलसिला चला। अभिशॉप-ग्रस्त इस देश के मुकद्दर में अभी तक सुकून नहीं है।

इन दिनों सिंध के पानी के लिए खून की नदी बहाने की धम​िकयां देने वाले बिलावल भुट्टो को तो शायद अपनी मां बेनजीर भुट्टो और अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टो का भी हश्र याद नहीं। उन्हेें यह भी याद नहीं कि उनके इस अभिशप्त देश में राष्ट्राध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री या तो जेलों में ठूंसे गए या फिर अपने ही देश के लोगों द्वारा मारे गए। वैसे इस्लाम में पाश्चाताप और अभिशाप मुक्ति का कोई ठोस उपाय हो, ऐसा सुनने में नहीं आया, मगर वहीं लम्बी अवधि तक न तो ‘बुलेट’ की सरकार चली, न ही ‘बैलेट’ की।

वहां की वर्तमान सरकार व वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व के पास भी अपनी अभिशप्त जिंदगी से मुक्ति पाने का एक ही तरीका है कि वहां से सभी आतंकी ठिकाने वहां की हुकूमत स्वयं ही उजाड़े। वे लोग अगर एक नई ताजा लोकतांत्रिक फिजां अपने देश में बहाल नहीं करना चाहते तो उन्हें अपने देश की पूरी तबाही के लिए तैयार रहना होगा। अभिशप्त व टूटते बिखरते वर्तमान पाकिस्तान पर चौतरफा शैतानी ताकतों की नजर है। अमेरिका, चीन व बंगलादेश सरीखे राष्ट्र यहां कभी भी अपने-अपने अड्डे बना सकते हैं।

बिलावल भुट्टो को तो यह भी जान लेना चाहिए कि उनका पूरा मुल्क ही आत्महत्या के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। जिन लोगों को अपनी ‘सूरत बिगाड़ने का शौक है, वे अपने देश की तकदीर व तस्वीर कैसे संवारेंगे?’ वैसे भी उस देश में बड़ी विचित्र घटनाएं घटती रही हैं। एक समय में ‘पिंकी-पीर’ के नाम वाली श्रीमती इमरान खान का भी वहां दबदबा था। उनका तो दावा था कि उनके पास ‘भूत-प्रेत’ भी हैं। मगर अल्लादीनी-चिरागों के ‘जिन्न’ बेचने वाली ‘पिंकी-पीर’ भी जेल में हैं और इमरान खान सरीखे ‘क्रिकेटर-किंग भी जेल में अपनी ही टूटी-फूटी ‘विकेटों’ को किसी ‘क्लिक-फिक्स’ से जोड़ने में व्यस्त हैं।

दुखद पहलू यह भी है कि इस अभिशप्त देश के साथ हमारा अपना गौरवमय इतिहास भी जुड़ा है। सिख धर्म की पहली पातशाही का जन्म-स्थान व निर्वाण-स्थल दोनों ही इस अभिशप्त देश में ही हैं। शहीदे आजम भगत सिंह की जन्मस्थली भी इसी अभिशप्त देश में है और शहादत स्थली भी इसी देश में। मगर ऐसा अभिशप्त देश भी भारत के लिए कम चिंता का विषय नहीं है। तबाही इस देश अर्थात पाकिस्तान का मुकद्दर है, मगर वहां की गर्म हवाओं से हमारा पर्यावरण भी तो प्रभावित हो रहा है। चलिए दुआ करें उस पड़ोसी के लिए जो एक ‘सीजोफ्रेनिया’ के रोगी की तरह तबाही के रास्ते में चलता ही चला जा रहा है।

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Dr. Chander Trikha

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