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सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..

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12:58 AM Mar 03, 2019 IST | Desk Team

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पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाएं घटीं कि एक मां, बेटी, पत्नी होने के नाते दिल दहल गया। पहले पुलवामा में 44 सैनिक शहीद हुए, फिर एयर क्रैैश में 5 जवानों का जाना, फिर अम्बाला के सिद्धार्थ शर्मा की शहादत से दिल दहलता गया। उसके बाद हमारे बहादुर विंग कमांडर अभिनन्दन का पाकिस्तान में बन्दी होना और तरह-तरह की वीडियो वायरल हुई जिसको देखकर एक मां की तरह प्रार्थना करती रही कि अभिनन्दन सुरक्षित वापस आ जाए। इन्हीं दिनों एक अजीब सा अहसास हुआ कि इन 44 सैनिकों और दूसरे शहीद हुए सैनिक और अभिनन्दन से खूनी रिश्ता नहीं परन्तु इनके लिए दिल से प्रार्थना, दिल में दहशत एक खूनी रिश्ते से बढ़कर हुई क्योंकि यह रिश्ता सब रिश्तों से बड़ा था। देशभक्ति का रिश्ता सचमुच सब रिश्तों से ऊपर है। मुझे यही लगता है कि कोई भी मां, बहन, बेटी नहीं होगी जो शहीद हुए सैनिकों के लिए रोई न होगी या आंखें नम नहीं हुई होंगी और अभिनन्दन के लिए प्रार्थना न की होगी। मुझे लगता है कि आने वाले समय में बहुत सी मुझ जैसी माताएं अपने बेटों का नाम अभिनन्दन रखेंगी और बहुत से युवा अपना रोल मॉडल अभिनन्दन को मानेंगे। बहुत से युवा वैसा देशभक्ति का जोश, देश के लिए मर मिटने का जुनून, उसकी तरह स्मार्ट बनना, उसकी तरह मूंछें रखना, उसकी तरह चलना आदि।

भारत मां के सच्चे सपूत विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान के अदम्य साहस की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। देश के लिए जान देने का जज्बा अगर परंपरा बन जाए तो यह एक बहुत बड़ा उदाहरण हो सकता है और भारत में ऐसे उदाहरणों की कोई कमी नहीं है। जिस मां ने अभिनंदन जैसे पुत्र को जन्म दिया, उस जननी को कोटि-कोटि नमन है। दुश्मन के इलाके में मिग-21 विमान ​उड़ाकर उस एफ-16 विमान का पीछा करना जिसे अमरीका ने पाकिस्तान को दे रखा हो और उसे गिराकर हादसे का शिकार हो जाना और फिर पैराशूट से नीचे उतरना इतने प्रतिकूल हालात के बीच देश प्रेम के प्रति समर्पित रहना और पाकिस्तान की कैद में रहकर वापस सुरक्षित लौट आना, ये दो दिन बहुत ही कठिन थे लेकिन अभिनंदन पूरे देश के प्रेरणास्रोत बन गए हैं। गौरवपूर्ण बात यह है कि उनका पूरा परिवार ही देश की सेना को समर्पित रहा है। उनके पिता एयर मार्शल सिमकुट्टी भी मिग-21 उड़ा चुके हैं और अभिनंदन के दादा भी भारतीय वायुसेना में थे तथा द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने हिस्सा लिया था। उनके पिता 1994 में भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए थे।

खुद वर्द्धमान के इस जज्बे को देखकर मेरा दावा है कि आज हजारों-लाखों युवक वायुसेना में भर्ती होने के लिए जुट जाएंगे। उनकी पत्नी तन्वी भी एयरफोर्स में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं और तबिश नाम का उनका बेटा भी है। इतना ही नहीं जब 1999 का कारगिल युद्ध हुआ तो प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मणिरत्नम ने इस पृष्ठभूमि पर फिल्म बनाई तो अभिनंदन के पिता ने उन्हें सहायक के तौर पर मदद देने में कोई गुरेज नहीं किया। इन सब बातों को शेयर करने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि लोग आज के समय में ज्यादा समय इधर-उधर की बातचीत या अन्य मुद्दों पर न बिताएं बल्कि वीरों से भरे इस परिवार के बारे में ज्यादा-ज्यादा चीजें शेयर करें क्योंकि देश को आज अभिनंदन जैसे जांबाज जवानों की बहुत जरूरत है। सोशल मीडिया को बड़े ध्यान से यूज करना चाहिए।

हमारा जांबाज पाकिस्तान में था तो बहुत से मैसेज ऐसे चल रहे थे जो दोनों देशों में तनाव व असुरक्षा पैदा कर रहे थे। दुश्मन तो दुश्मन है वह पाकिस्तान हो या अन्य आतंकवादी। सच बात तो यह है कि देश के लिए कुछ करने की ललक हर किसी में नहीं होती। मैं इस वीर परिवार के प्रति नतमस्तक हूं और उन शहीदों के प्रति भी जिन्होंने पुलवामा में अंतिम दम तक आतंकवादियों के साथ जूझते हुए अपने प्राण न्यौछावर किये। मेरा एक और मानना है कि वीरों के परिजनों का सम्मान किया जाना चाहिए। मैं खुद शहादत देने वाले परिवार से आती हूं लेकिन आज भी अपने दादा ससुर शहीद शिरोमणि लाला जगत नारायण और पिता ससुर अमर शहीद रमेशचंद्र जी के ​बलिदान को भूली नहीं हूं जिन्होंने आतंकवादियों के आगे घुटने टेकने से इंकार कर दिया था और आतंकवादियों को हजारों धमकियों के बावजूद खाड़कू या मिलिटेंट नहीं लिखा बल्कि उन्हें आतंकवादी ही ​करार दिया।

सच बात तो यह है कि यह आतंकियों का घिनौना खेल पत्रकारों, नागरिकों, सैनिकों, पुलिसकर्मियों, बीएसएफ और सीआरपीएफ जवानों की बलि ले चुका है और इसका खात्मा होना ही चाहिए परंतु यह तभी संभव है जब देश के अधिक से अधिक लोग सेना में भर्ती होने के लिए संकल्प लें। हमारे देश को इसी चीज की जरूरत है। अभिनंदन की वतन वापसी का दिन हमारे लिए गौरव का दिन है। आओ देश की सुरक्षा और आन-बान-शान बरकरार रहने का जश्न मनाएं। यही समय की मांग है और साथ ही अब तक सभी शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हमारे परिवार शहीदों के परिजनों का सम्मान करें, उनके दुःख-सुख में शामिल हों जिससे उन्हें लगे कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। वैसे पूरे भारत का जज्बा कमाल का है जो इन शहीदों के परिजनों के सा​थ खड़ा रहा है। एक बार फिर से शहादत को सैल्यूट और सुरक्षित वतन लौटे अभिनंदन को कोटि-कोटि नमन है।

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