Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

त्यौहारों पर हमारा धर्म और कर्म

04:22 AM Nov 02, 2025 IST | Kiran Chopra
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा

सच बात यह है कि हमारा सनातन धर्म, हमारा हिंदू धर्म हर किसी को साथ जोड़कर चलता है और इतना उदार है कि प्रेम पूर्वक भगवान को समर्पित रहते हुए हर धर्म का सम्मान करता है। इंसानियत के इस धर्म में नफरत का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। यह भारत ही है जहां धर्म और मानवता एक-दूसरे के पुरक हैं।
ऐसा लगता है कि दिल्ली आजकल धार्मिक नगरी बन चुकी है। हर तरफ पुण्य कमा रहे हैं, यह सच है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कार्तिक महीना त्यौहारों की लड़ी लेकर आता है। धनतेरस, दिवाली, गौरवर्धनपूजा, भईयादूज के बाद पिछले दिनों दिल्ली और इसके आसपास जब गऊ माता अनेक गौसदनों में सजी-धजी दिखाई दी तो पता चला कि यह गोपाष्टमी है जो कि 30 अक्तूबर को संपन्न हुई। भगवान कृष्ण का गऊओं के प्रति जो स्नेह था इस मौके पर गऊ-बछड़ों को सजाया जाता है और उन्हें शुद्ध भोजन प्रदान करते हुए उनकी पूजा की जाती है। पुण्य कमाने का यह पर्व गोपाष्टमी ही है। हमारे भगवान विष्णु जो कि क्षीरसागर में विश्राम के लिए गए हुए थे अभी कल ही जागे हैं इसीलिए देवउठनी एकादशी मंदिरों में अलग ही नजारा प्रस्तुत कर रही है। देवउठनी एकादशी पर वह जागते हैं तो मानव जाति का कल्याण करते हैं। इसीलिए एकादशी पर खास पूजा-अर्चना की जाती है, इतना ही नहीं मंदिरों और घरों में माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। इसे सबसे बड़ी एकदशी के तौर पर माना जाता है। मंगल गीत गाए जाते हैं, कीर्तन किया जाता है। 30 तारीख से लेकर 2 तारीख तक आर्य समाज अपने 150 साला मना रहा है। निरंकारी अपना समागम कर रहे हैं। यही नहीं कल मैं लाल किले पर इस्कॉन वालों के रथ को हरी झंडी देकर आई। श्रीकृष्ण और बलराम की रथ यात्रा ऐसी है जिसकी रस्सी खींचने से और रथ के सामने झाड़ू लगाने से सब दुखों से मुक्ति मिलती है। आज में शालीमार बाग में हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्य द्वारा गऊ सेवा एम्बुलेंस का उद्घाटन करूंगी। साथ ही मुझे आर्य समाज द्वारा सम्मानित किया जाएगा जिसमें कुछ आर्य समाजी जिनका समाज में योगदान है उन सबको जे.बी.एम ग्रुप द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच में दिल्ली में आजकल हमारे सिख भाई-बहन और अन्य धार्मिक संगठनों के लोग कार्तिक महीने के चलते प्रभात फैरियां निकाल रहे हैं, जहां सत नाम, सत नाम, सत नाम, वाहे गुरुजी के मंगल शबद कीर्तन गाते हुए नानक नाम चढ़दी कलां तेरे भाणै सरबत दा भला और भगवन तुम कृपा करो जैसे पवित्र गीत गाते हुए घंटियां और ढोलकी बजाते हुए सबके सुखी रहने की कामना करते हैं। सुबह की पूजा भगवान को सबसे ज्यादा प्रिय है और माना जाता है कि सबके मनोरथ पूर्ण होते हैं। बड़ी बात यह है कि त्यौहारों की इस लड़ी में जहां हम दिवाली मना चुके हैं वहां आने वाली 5 नवंबर को काशी में देव दिवाली मनाई जायेगी। हमारी दिल्ली में भी मॉडल टाउन देव दिवाली मशहूर है। इस दिन सारे देवी-देवता पृथ्वी पर उतरकर काशी में घाटों पर दीप जलाते हैं और दिवाली मनाते हैं। यह एक दुर्लभ दृश्य कहीं और नहीं दिखाई देता। वहीं 8 नवंबर को भगवान गणपति की चतुर्थी भी पड़ रही है जिसके लिए लोग व्रत भी रखते हैं। दिल्ली के मंदिर, गुरुद्वारे हमारी आस्था के सबसे बड़े केंद्र हैं। मंदिरों और गुरुद्वारों में दीपमाला हर किसी को बहुत आकर्षित करती है तो इसी 5 नवंबर को महान सिख गुरु नानक देव जी की जयंती भी मनाई जा रही है और इस दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है। लोग गुरुद्वारों में जाकर गुरु नानकदेव जी को समर्पित रहते हैं और समूची दिल्ली में भंडारे लगा-लगा कर प्रसाद वितरित किया जाता है। इतने आयोजन जो आजकल चल रहे हैं यह सब कार्तिक महीने में ही संभव है। अभी दो दिन पहले महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जयंती के मौके पर अन्तर्राष्ट्रीय आर्य सम्मेलन रोहिणी में मनाया गया जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी सम्मलित हुए। जबकि दिल्ली में निरंकारी सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है। किस-किस आयोजन की बात करूं बहुत हैं लेकिन दिल्ली में ही तीन नवंबर तक पंजाबी बाग में श्रीमद् भागवत कथा चल रही है जिसके सूत्रधार मृदुल शास्त्री जी हैं और हजारों भक्त वहां श्रीमद् भागवत की अमृत कथा का आनंद उठा रहे हैं। जिन्हें हमारी प्रिय मित्र निर्मल सिंगला जी और उनके पति करवा रहे हैं। आनन्द ही आनन्द है।
सूर्य की पहली किरण से लेकर चंद्रमा के उदय होने तक हर तरफ त्यौहारों की आभा चमक रही है और मानवता की खातिर हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है। यह सच्ची भावना ही भारतीयता को संस्कारों से जोड़ती है जो दुनिया के किसी और किसी देश में दिखाई नहीं देती। कहते हैं जहां स्वच्छता है वहां भगवान का वास है। स्वच्छता के मामलों में हमारे गुरुद्वारे पूरी दुनिया में सबसे अधिक सुंदरता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। वहां लोग चौबीसों घंटे सेवा भावना से साफ सफाई का ध्यान रखते हैं, यह भी एक सच्ची पूजा है। आइए गुरुद्वारों से प्रेरित होकर जीवन में और जीवनभर जो पूजा करते हैं उसमें स्वच्छता को भी जगह दें तो सचमुच धरती पर स्वर्ग उतर आयेगा और कार्तिक महीने में त्यौहारों का आयोजन और हमारी पूजा सफल हो जायेगी।
हम मानवता के कल्याण के लिए ​स​मर्पित रहते हैं। यह हमारा धर्म है तो हमारा कर्म भी ​इस दिशा में समर्पित ही रहना चाहिए। यही संदेश भारतीयता का है जो कहता है-
इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा।

Advertisement
Advertisement
Next Article