पहलागाम हमलों ने बढ़ाया कश्मीर का संकट: पर्यटन पर निर्भर आबादी के लिए मुश्किलें
कश्मीर के पर्यटन पर हमलों का गहरा असर
पहलागाम हमलों के बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षा बल सतर्क हैं और सरकारें भविष्य की रणनीति बना रही हैं। आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की उम्मीद है। हालांकि, इन हमलों ने आम कश्मीरियों की जिंदगी पर गहरा असर डाला है, खासकर पर्यटन पर निर्भर लोगों के लिए। पर्यटकों के डर से घाटी की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। पर्यटकों के मन में बसा यह डर लाखों कश्मीरियों से उनकी दो वक्त की रोटी छीन सकता है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए घातक हमलों के बाद से घाटी में मौजूद सुरक्षा बल अलर्ट पर हैं। केंद्र और राज्य सरकारें भी बैठकों के जरिए भविष्य का रोडमैप तैयार करने में लगी हुई हैं। प्रधानमंत्री समेत सरकार के कई बड़े मंत्रियों ने आतंकवाद की कमर तोड़ने का आश्वासन भी दिया है। बीते कुछ वर्षों में कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर कड़ा रुखअख्तियार किया गया है। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे फैसलों से आतंकवाद को खासा नुकसान भी पहुंचा है। पूरी उम्मीद है कि सरकार इस बार भी कोई कड़ा फैसला लेगी। परंतु, कोई कड़ा फैसला घाटी को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं कर सकता। घाटी 2019 के पुलवामा हमलों और 90 के काले दशक से अभी उबरने की कोशिश कर ही रही थी। घाटी में धीरे-धीरे डर का माहौल कम हो रहा था और हालात सामान्य हो रहे थे। पर पहलगाम हमलों ने घाटी में आतंकवाद के भूत को पुनर्जीवित करने का काम किया है। आतंकवाद के डर का सबसे ज्यादा असर आम कश्मीरियों की जिंदगी पर होगा। बीते कुछ सालों में सुधरते हालातों ने घाटी में सैलानियों की खेप में खासा इज़ाफा किया था। पर इस घटना के बाद वापस से हालात सामान्य होने में कई वर्ष भी लग सकते हैं। क्योंकि कश्मीर में पहली बार सीधे पर्यटकों को निशाना बनाया गया है। पर्यटकों के मन में बसा यह डर लाखों कश्मीरियों से उनकी दो वक्त की रोटी छीन सकता है।
बिना पर्यटन घाटी का गुज़ारा असंभव
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पर्यटन का घाटी की कुल अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत का योगदान है। ऐसे में पहलगाम हमलों के कारण पर्यटकों के मन में बसा डर घाटी को खासा नुकसान पहुंचा सकता है। पर यह समस्या और भी विकट है। क्योंकि सिर्फ 10 प्रतिशत के योगदान वाले पर्यटन पर कश्मीर की लगभग 30 प्रतिशत आबादी निर्भर है। ऐसे में पर्यटन में गिरावट का एक बड़ा असर घाटी के लोगों की रोजी-रोटी पर होगा। अभी घाटी में 1000 हाउसबोट, 4000 होटल और हजारों टैक्सी ड्राइवर और गाइड मौजूद हैं। पर्यटन के अभाव में इनका जीवन और मुश्किल हो जाएगा।
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हर साल घाटी में बढ़ रही थी सैलानियों की संख्या
2019 में हुए पुलवामा हमले और 2020 में कोविड ने घाटी में पर्यटन की कमर तोड़कर रख दी थी। जहां साल 2019 में 5.5 लाख सैलानी घाटी पहुंचे वहीं, 2020 में यह संख्या मात्र 41 हजार रह गई थी। लेकिन उसके बाद साल दर साल स्थिति बेहतर होती गई और परिणाम स्वरूप साल 2024 में कुल 30 लाख सैलानी घाटी पहुंचे। लेकिन पहलगाम हमले इन आंकड़ों को भयंकर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
बेरोजगारी दे सकती है घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा
पर्यटन में हो रही भयंकर गिरावट बेरोजगारी दर को बढ़ावा दे सकती है। अगर घाटी में गरीबी बढ़ती है, तो आतंकवाद फिर अपने पांव मजबूत कर सकता है। हमारी सरकारों और घाटी के लोगों को पहलगाम हमले के बदले के साथ-साथ पर्यटन में होने वाली गिरावट से निपटने के लिए भी एक रोडमैप बनाने की जरूरत है। बिना एक साझा प्रयास के आतंकवाद और बेरोजगारी के संयुक्त संकट से निपटना काफी मुश्किल हो सकता है।