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Pak से तनाव के बीच चीन पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, कश्मीर पर भी होगी बात !

विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में होने वाली दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के मद्देनजर रविवार को बीजिंग पहुंचे।

07:10 PM Aug 11, 2019 IST | Shera Rajput

विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में होने वाली दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के मद्देनजर रविवार को बीजिंग पहुंचे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में होने वाली दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के मद्देनजर रविवार को बीजिंग पहुंचे। कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान के साथ गहराये तनाव के मद्देनजर विदेश मंत्री के दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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डा। जयशंकर इस दौरान सोमवार को राज्य पार्षद और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ सांस्कृतिक और दोनों के लोगों के बीच संबंधों पर भारत-चीन उच्च स्तरीय दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस दौरान दोनों देश पर्यटन, कला, फिल्मों, मीडिया, संस्कृति, खेल जैसे क्षेत्रों में संवर्धित आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों देशों के लोगों के बीच अधिक तालमेल बनाने का प्रयास करेंगे। 
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद निर्मित नयी परिस्थितियों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा है। 
श्री वांग ने शुक्रवर को पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी के साथ बैठक के बाद कहा कि कश्मीर मुद्दा ‘‘औपनिवेशिक इतिहास से बचा हुआ विवाद है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर उचित तथा शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए।’’ 
इससे पहले मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने लद्दाख की स्थिति सहित कश्मीर पर सरकार के कदमों की आलोचना करने वाली अपनी टिप्पणी के लिए चीन को कड़ी फटकार लगाई थी और चीन को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से परहेज करने की सलाह दी थी। 
दरअसल विदेश मंत्री का चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब हाल ही में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुयिंग ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने की प्रतिक्रया में कहा था,‘‘ चीन, कश्मीर की वर्तमान स्थिति को गंभीरता से ले रहा है।’’ 
चीन के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था,‘‘ भारत किसी भी देश के आंतरिक मामले को लेकर टिप्पणी नहीं करता है और अन्य देशों से भी ऐसी ही उम्मीद करता है।’’ 
इस महीने की शुरुआत में सर्वश्री जयशंकर और वांग ने दक्षिण-पूर्व एशियाई सम्मेलन के दौरान बैंकाक में मुलाकात की थी और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर ‘‘व्यापक चर्चा’’ की थी। बैठक के दौरान श्री वांग ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन पर ‘‘बहुत ध्यान दे रहा है’’’ और वह भारत के साथ काम में सहयोग करने के लिये तैयार है। 
भारत का व्यापार घाटा पिछले साल 10 अरब डॉलर घटकर 53.6 अरब डॉलर हो गया था पर भारत इस वर्ष इसमें और कटौती करना चाहता है। 
भारत ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि है कि दोनों विदेश मंत्री इस साल के अंत में आगामी उच्च-स्तरीय यात्राओं सहित द्विपक्षीय संबंधों, आपसी हित के क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। 
कश्मीर मसले पर रूस समेत कई देशों ने भारत के कदम का समर्थन करते हुए इसे संविधान के दायरे में बताया है जबकि ईरान समेत कुछ देशों ने भारत और पाकिस्तान दोनों से इसका राजनयिक एवं कूटनीतिक समाधान ढूंढने की अपील की है। इन देशों ने दोनों पड़सी देशों को अत्यधिक संयम बरतने की भी अपील की है।
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