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फेसबुक विवाद में कूदा पाकिस्तान, भारत के लिए पक्षपात होने का लगाया आरोप

मंत्री हक ने कहा, कंपनी ने भाजपा नेताओं और कार्यकतार्ओं द्वारा साझा किए गए हेट स्पीच और सांप्रदायिक सामग्री को लगातार नजरअंदाज कर दिया था।

05:20 PM Aug 21, 2020 IST | Desk Team

मंत्री हक ने कहा, कंपनी ने भाजपा नेताओं और कार्यकतार्ओं द्वारा साझा किए गए हेट स्पीच और सांप्रदायिक सामग्री को लगातार नजरअंदाज कर दिया था।

पाकिस्तान के संघीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्री अमीनुल हक ने फेसबुक की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो पाकिस्तान की तुलना में भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) के लिए पक्षपात करता है। मंत्री ने कहा है कि फेसबुक इंक की सामग्री विनियम नीतियों ने कथित तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी का पक्ष लिया है।
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रिपोर्ट का हवाला देते हुए हक ने आग्रह किया कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी को व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने साथ ही यह दावा भी किया कि यह अब अपने उपयोगकतार्ओं के प्रति निष्पक्ष नहीं है। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के बाद भारत में काफी विवाद देखने को मिला है। विपक्षी पार्टियां फेसबुक की ओर से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा मिलने का आरोप लगा रही हैं और इस मामले की जांच की मांग कर रहीं हैं। इस वजह से भारत में फेसबुक का जनसंपर्क (पब्लिक रिलेशन) और राजनीतिक दृष्टिकोण (पॉलिटिकल अप्रोच) संकट में है।
गौरतलब है कि अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भाजपा के एक विधायक के भड़काऊ भाषण (हेट स्पीच) वाले पोस्ट पर कार्रवाई करने से फेसबुक की भारत में अधिकारी अंखी दास ने अपनी टीम को रोका था। उन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से कारोबार को नुकसान होने की बात कही थी।
मंत्री हक ने कहा, कंपनी ने भाजपा नेताओं और कार्यकतार्ओं द्वारा साझा किए गए हेट स्पीच और सांप्रदायिक सामग्री को लगातार नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने कहा, फेसबुक भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के लिए नरमी बरतता (सॉफ्ट कॉर्नर) है। मंत्री ने कश्मीर राग अलापते हुए कहा कि दुनिया भर के उपयोगकतार्ओं द्वारा डाले गए पोस्ट जम्मू एवं कश्मीर की स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के भारत सरकार के कदम की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को इस क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया था, जिसकी निंदा सोशल मीडिया के माध्यम से की गई।
उन्होंने कहा, कंपनी ने ऐसे पोस्ट साझा (शेयर) करने वाले अकाउंट्स को भी बंद कर दिया। हक ने फेसबुक की आलोचना करते हुए कहा कि यह कश्मीरियों पर कथित भारतीय अत्याचारों को सार्वजनिक करने के बारे में सभी नियम-कायदों को मानता है, लेकिन जब क्षेत्रीय कार्यालयों में भारी निवेश और कर्मचारियों के भारतीय होने की बात आती है, तो वित्तीय लाभ के कारण फेसबुक प्रशासन सभी नैतिक मूल्यों और कोड को अपनाने की अनदेखी करता है। मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीन के इजरायल दमन से संबंधित पोस्ट पर भी फेसबुक ने इसी तरह की नीति अपनाई है।
मामले पर फेसबुक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर टिप्पणी करते हुए, हक ने जोर दिया कि मामले को स्पष्ट करने के लिए कंपनी को व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है। मंत्री ने यह सवाल भी उठाया कि भारत और पाकिस्तान में सोशल मीडिया दिग्गज की अलग और पक्षपाती नीतियां क्यों हैं।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट ने भारत में व्यापक बहस छेड़ दी है, जिससे फेसबुक की सामग्री विनियमन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले पर फेसबुक ने स्पष्ट किया है कि वह किसी की राजनीतिक स्थिति के बावजूद हेट स्पीच को बढ़ावा न देते हुए इसे प्रतिबंधित करता है।

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