PAK ने की UN कार्रवाई में टेररिज्म रिव्यू को आतंकी औचित्य में बदलने की 'ना पाक' कोशिश
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर से आतंकवाद रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को पाकिस्तान आतंकवाद के औचित्य में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है।
02:00 PM Mar 07, 2021 IST | Desk Team
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर से आतंकवाद रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को पाकिस्तान आतंकवाद के औचित्य में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है। ग्लोबल काउंटर टेररिज्म रिव्यू विषय पर एक प्रस्ताव पर वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि इस प्रस्ताव में आतंकवाद के औचित्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और आतंकवाद के मूल कारणों पर विस्तृत रूप से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव केवल लंबे समय तक अनसुलझे संघर्ष, विदेशी नियंत्रण, स्व-निर्धारण के अधिकार से वंचित, जेनोफोबिया और इस्लामोफोबिया तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि आतंकवाद की निंदा करने और आतंकवादियों को समर्थन बंद करने की मांग करने के बजाय उनका प्रस्ताव आतंकवाद के औचित्य की पेशकश करेगा। इस्लामिक स्टेट और अलकायदा समेत सभी प्रमुख आतंकवादी संगठन उत्पीड़न और अन्याय के उदाहरणों से अपने खतरनाक मंसूबे और नैरेटिव तैयार करते हैं। अकरम ने नियो-नाजी और हिंदुत्व विचारधाराओं सहित ‘हिंसक राष्ट्रवादी समूहों’ का उल्लेख करके लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-मुजाहिदीन-अल-इस्लामी जैसे आतंकवादी संगठनों से ध्यान हटाने का प्रयास किया।
इन संगठनों को पाकिस्तान हर संभव मदद मुहैया कराता है और ये संगठन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। पाकिस्तान खुद धार्मिक भेदभाव का एक जीता-जागता उदाहरण है। लेकिन यूएन में इसके प्रतिनिधि अकरम ने अन्य देशों को धार्मिक सद्भावना की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि वर्चस्ववादी, नियो-नाजी और हिंदुत्व विचारधारा वाले संगठनों द्वारा प्रसारित हेट स्पीच, धार्मिक और नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों का मुकाबला करने के लिए सभी देशों को आवश्यक उपाय करने के लिए कहा जाना चाहिए, जिसमें नागरिक, आपराधिक और प्रशासनिक कानून को बढ़ावा देना शामिल है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय को धार्मिक और नस्लीय असमानता के प्रभाव, नस्लवाद की व्यापकता, भेदभाव और संबंधित असहिष्णुता की निगरानी करनी चाहिए। हालांकि, पाकिस्तान संवैधानिक और कानूनी तौर पर गैर-मुस्लिमों के साथ-साथ कुछ मुसलमानों जैसे अहमदियों के साथ भेदभाव करता है। यहां तक कि उन्हें मौत की सजा देने की हद तक ऐसा किया जाता है। पाकिस्तान आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू करने में विफल रहा है। अकरम ने प्राउड बॉयज, एटमवफेन डिवीजन, राइज एबव मूवमेंट, नेशनल एक्शन, ब्लड ऐंड ऑनर, कॉम्बैट18 और आरएसएस के खिलाफ सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों की मांग की।
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