पहलगाम हमले का पाकिस्तान कनेक्शन, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जानकार उड़ जाएंगे होश
पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत और 20 से ज्यादा घायल हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी है। खुफिया जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान इस क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाने के प्रयास में लगा हुआ है। 2024 में मारे गए आतंकवादियों में से 60 प्रतिशत से ज़्यादा पाकिस्तानी नागरिक थे, जो कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सबसे बड़ा सबूत है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कल शाम हुए इस क्रूर हत्याकांड में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी प्रमुख स्तरों पर बैठकें हो रही हैं। इस बीच, इस पूरी घटना को लेकर खुफिया जानकारी सामने आई है। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान किस तरह पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
22 अप्रैल की घटना
22 अप्रैल, 2025 को द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादियों ने पहलगाम के बैसरन में पर्यटकों पर बेरहमी हमला किया, पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया। इस हमले में विदेशी नागरिकों सहित 28 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया है कि इस ऑपरेशन के पीछे पाकिस्तान स्थित संचालकों का हाथ है, जिनके तार वहां से जुड़े हैं।
दो सालों में ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी
पिछले दो सालों में कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। ये हमले आम नागरिकों को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं। जबकि पहले आतंकियों के निशाने पर ज़्यादातर सुरक्षा बल ही होते थे। अकेले 2024 में 60 हमलों में 122 लोगों की मौत हुई। पिछले साल मारे गए 60 प्रतिशत से ज़्यादा आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गई। यह सीधे तौर पर जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता को बढ़ावा देने में विदेशी भूमिका की ओर इशारा करता है।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ” इस घटना की जितनी निंदा, विरोध की जाए वो कम है…
#WATCH श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर | डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ” इस घटना की जितनी निंदा, विरोध की जाए वो कम है…पहले लोग ऐसी घटनाओं की निंदा कम ही करते थे। शायद इसलिए क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वे आतंकवादियों के खिलाफ बोलेंगे तो उनकी जान… pic.twitter.com/gnTIYX2PZr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 23, 2025
पाकिस्तान से होती है फंडिंग
लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के भीतर से वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और रणनीतिक सहायता मिलती रहती है। प्रशिक्षण और रसद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में मुहैया कराई जाती है। इसके साथ ही हवाला और फंडिंग का भी इस्तेमाल किया जाता है। जांच और इंटरसेप्ट की गई बातचीत लगातार इन हमलों के तार पाकिस्तानी हैंडलर्स से जोड़ती है। टीआरएफ आतंकवाद में पाकिस्तान के प्रॉक्सी के तौर पर काम कर रहा है।
साल 2024 में 60 से अधिक घटनाएं
खुफिया जानकारी के अनुसार, 2024 में जम्मू-कश्मीर में कुल 60 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 122 मौतें हुईं। इनमें से 32 नागरिक और 26 सुरक्षाकर्मी थे। जबकि 64 आतंकवादी मारे गए हैं। 2025 के पहले तीन महीनों में इस क्षेत्र में हमलों की आवृत्ति और तीव्रता पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई है। 2024 में मारे गए आतंकवादियों में से 60 प्रतिशत से ज़्यादा पाकिस्तानी नागरिक थे, जो कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सबसे बड़ा सबूत है।
Pahalgam Attack: कलमा पढ़ने के लिए कहा, फिर पिता को मारी गोली; बेटी का दर्द सुनकर कांप जाएंगे