BIG BREAKING: कौन हैं फैज हमीद? पाकिस्तान में गद्दारी के आरोप में हुई 14 साल की जेल
Pakistan ISI Chief Faiz Hameed News: पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने आईएसआई (ISI) के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) फैज हमीद को 14 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। यह फैसला 11 दिसंबर 2025 को आया और इसे पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग ISPR ने सार्वजनिक किया। देश के इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी पूर्व ISI प्रमुख पर कोर्ट मार्शल चलते हुए उसे जेल भेजा गया हो।
Pakistan ISI Chief Faiz Hameed News: किन आरोपों में सजा हुई?
फैज हमीद पर कई गंभीर आरोप साबित हुए, जिनमें शामिल हैं:
- राजनीति में अनधिकृत हस्तक्षेप
- ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन
- अपने पद का दुरुपयोग
- सैन्य अनुशासन भंग करना
उनके खिलाफ अगस्त 2024 में कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो लगभग 15 महीने तक चलती रही। फैसले के बाद पाकिस्तानी राजनीति और सेना, दोनों में बड़ा हड़कंप मच गया। फैज हमीद को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का बेहद नज़दीकी माना जाता रहा है, इसलिए इस सजा ने राजनीतिक हलकों में और भी हलचल बढ़ा दी।

Pakistan News Today: काबुल की ‘चाय’ और वह यादगार मुस्कान
सितंबर 2021 की वह तस्वीरें आज भी चर्चाओं में रहती हैं, जब अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान सत्ता में लौटा था। इसी दौरान बतौर ISI चीफ, फैज हमीद अचानक काबुल पहुंचे थे। सेरेना होटल की लॉबी में हाथ में चाय का कप और चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लिए उनकी तस्वीर पूरी दुनिया में वायरल हुई थी। काबुल में अफरा-तफरी और अनिश्चितता का माहौल था, लेकिन फैज हमीद बेहद आराम से बैठे दिखे। जब एक विदेशी पत्रकार ने उनसे पूछा कि आगे क्या होने वाला है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था, “Don’t worry, everything will be okay.”(चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।)

यह सिर्फ एक मुस्कान नहीं थी, बल्कि कई देशों, खासकर भारत और अमेरिका के लिए स्पष्ट संदेश था कि अफगानिस्तान में अब पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ने वाला है। माना जाता है कि उनकी उस यात्रा का मकसद तालिबान के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष को सुलझाना और हक्कानी नेटवर्क को सरकार में महत्वपूर्ण जगह दिलवाना था। उस दौर में उन्हें किंगमेकर और काबुल का वायसराय तक कहा गया।

ISI Chief Faiz Hameed News: सत्ता से जेल तक, फैज हमीद का पतन
2021 में काबुल में शक्ति का प्रदर्शन करने वाले वही जनरल, साल 2025 में अपनी ही सेना द्वारा दोषी करार दे दिए गए। जो अधिकारी कभी अफगानिस्तान की राजनीति को अपनी मुट्ठी में रखने का दावा करता था, वही आज कठोर सजा काटने को मजबूर है। काबुल की वह ‘जीत की चाय’ शायद उनके करियर का आखिरी बड़ा क्षण था, जिसके बाद लगातार विवाद, आरोप और तनाव ने उनके पतन की शुरुआत कर दी। आज हालात इतने बदल चुके हैं कि पाकिस्तान की सेना ने उन्हें देश और संस्था के खिलाफ अपराधी मानकर जेल भेज दिया है।
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