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खुद के ही पत्रकारों ने खोल दी पाकिस्तान की पोल! बीच कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री को किया बेइज्जत

खुद के ही पत्रकारों ने खोल दी पाकिस्तान की पोल!

04:08 AM Jun 11, 2025 IST | Amit Kumar

खुद के ही पत्रकारों ने खोल दी पाकिस्तान की पोल!

वित्त मंत्री औरंगजेब प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पहुंचे, तो मीडिया प्रतिनिधियों ने हंगामा शुरू कर दिया. वित्त मंत्री ने कई बार स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन पत्रकारों का विरोध जारी रहा. इसके बाद सभी पत्रकार अपने माइक और अन्य उपकरण लेकर वहां से चले गए, जिससे प्रेस कॉन्फ्रेंस अधूरी रह गई.

Pakistan News: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक घटना सामने आई है. दरअसल, देश के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब को अपने ही देश के पत्रकारों ने खुलेआम बेइज्जत कर दिया है. बजट 2025 के नेशनल असेंबली में पेश होने के बाद जब वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए, तो पत्रकारों ने उन्हें डॉयस पर बैठने से मना कर दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया. यह पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के दौरान पहली बार हुआ है कि कोई बड़ा मंत्री पत्रकारों के विरोध का सामना कर रहा हो.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब वित्त मंत्री औरंगजेब प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पहुंचे, तो मीडिया प्रतिनिधियों ने हंगामा शुरू कर दिया. वित्त मंत्री ने कई बार स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन पत्रकारों का विरोध जारी रहा. इसके बाद सभी पत्रकार अपने माइक और अन्य उपकरण लेकर वहां से चले गए, जिससे प्रेस कॉन्फ्रेंस अधूरी रह गई.

पत्रकारों ने क्यों जताई नाराजगी?

पत्रकारों ने अपनी नाराजगी के कई कारण बताए हैं. उनका आरोप है कि इस बार पेश किए गए बजट में जनता को कोई राहत नहीं दी गई है, खासकर टैक्स के मामलों में. उनका मानना है कि वित्त मंत्री ने आम जनता के सामने झूठ बोलने की कोशिश की है और सरकार टैक्स वसूली पर ज्यादा ध्यान दे रही है.

इस वजह से पत्रकारों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार करना सही समझा. इसके अलावा, पत्रकारों का कहना है कि फेडरल बोर्ड ऑफ रिवेन्यू (FBR) के अधिकारी भी उनके लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. बजट से जुड़ी रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को बार-बार अधिकारियों की ओर से दबाव और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पत्रकारों का विरोध पाकिस्तान में क्यों अहम?

पाकिस्तान की राजनीतिक पृष्ठभूमि में पत्रकारों का विरोध बहुत महत्वपूर्ण है. 2022 में इमरान खान की सरकार गिरने के बाद शहबाज शरीफ ने सत्ता संभाली. उन्होंने आर्मी चीफ असीम मुनीर के सहयोग से देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कड़ा नियंत्रण लागू किया.

इस दौरान पत्रकारों की आवाज दबाई गई, कई वरिष्ठ पत्रकारों पर कानूनी कार्रवाई हुई या उन्हें देश छोड़ना पड़ा. इस सख्त माहौल के बीच वित्त मंत्री के खिलाफ पत्रकारों का यह विरोध सरकार और सेना के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है.

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बजट पर जारी राजनीतिक तनाव

पाकिस्तान में बजट को लेकर विवादों का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है. नेशनल असेंबली में बजट पेश करते वक्त इमरान खान के सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया. उनका कहना था कि यह बजट आम जनता के लिए कोई फायदा नहीं लेकर आया है.

इमरान खान ने जेल से एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने इस बजट को आईएमएफ के दबाव में तैयार बताया है. उन्होंने कहा है कि इस बजट के कारण वेतनभोगी वर्ग और किसानों को भारी नुकसान होगा. उनके अनुसार, सरकार का मुख्य फोकस केवल टैक्स वसूली पर है, जिससे आम जनता की हालत और खराब होगी.

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