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पनामा मामला : शरीफ परिवार ने JIT रिपोर्ट को किया खारिज , जानिए क्या है मामला ?

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12:34 PM Jul 11, 2017 IST | Desk Team

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इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार ने पनामागेट मामले में संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है। जेआईटी ने शीर्ष अदालत के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में शरीफ और उनके बेटों हसन नवाज और हुसैन नवाज के साथ ही बेटी मरियम नवाज के खिलाफ राष्ट्रीय दायित्व ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश 1999 के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है।

श्री शरीफ की बेटी मरियम ने एक ट्वीट में जेआईटी की सिफारिशों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ”जेआईटी रिपोर्ट अस्वीकार्य है।” सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मई में पनामा मामले में सच्चाई का पता लगाने के लिए जेआईटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ जांच दल के निष्कर्षों पर सोमवार को सुनवाई करेगी। पीठ में जस्टिस अजमत सईद, जस्टिस इजाजुल अहसन और जस्टिस एजाज अफजल शामिल हैं।

क्या है मामला?

दुनिया में सबसे ज्यादा गोपनीय ढंग से काम करने वाली कंपनियों में से एक पनामा की मोसाक फोंसेका के एक करोड़ 10 लाख गोपनीय दस्तावेज लीक हुए हैं। इन दस्तावेजों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबियों से लेकर मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक समेत दुनिया के कई बड़े नेताओं के नाम हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने टैक्स हैवन देशों में अकूत संपत्ति जमा की। इनमें करीब 500 भारतीयों के भी नाम हैं. इन गोपनीय दस्तावेजों से पता चला है कि अमीर व शक्तिशाली लोग किस तरह अपने पैसे को बचाने के लिए टैक्स की चोरी करते हैं या उन तरीकों का प्रयोग करते हैं जिनसे उन्हें कम टैक्स भरना पड़े. इससे पता चलता है कि मोसाक फोंसेका ने किस तरह अपने ग्राहकों के काले धन को वैध बनाने, प्रतिबंधों से बचने और कर चोरी में मदद की।

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कैसे हुआ खुलासा?

इस खोजबीन में दुनिया के 78 देशों के 107 मीडिया संस्थानों के 350 से ज्यादा पत्रकार शामिल रहे। पत्रकारों ने पनामा पेपर्स मामले से जुड़े दस्तावेजों का एक साल तक अध्ययन किया उसके बाद यह खुलासा हुआ। आईसीआईजे के निदेशक गेरार्ड राइल का कहना है कि इन दस्तावेजों में मोसाक फोंसेका की हर दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों का ब्योरा दर्ज है। वहीं कंपनी का कहना है कि वह लगभग 40 साल से बिना किसी लांछन के काम कर रही है। उस पर कुछ गलत करने का आरोप कभी नहीं लगा. इस खुलासे में नाम आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री डेविड गुनलाउगसन ने इस्तीफा दे दिया है।

 

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