सात समुद्र पार होने जा रहे ‘ जनमत 20-20’ पर पंथक संगठनों ने उठाएं सवाल
मानवीय अधिकारों के लिए सात समुद्र पार कनाडा में काम कर रहे संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा करवाएं जा रहे ‘ जनमत 20-20’ का समर्थन करने वाले कई
लुधियाना : मानवीय अधिकारों के लिए सात समुद्र पार कनाडा में काम कर रहे संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा करवाएं जा रहे ‘ जनमत 20-20’ का समर्थन करने वाले कई सिख संगठनों को भी अशंकाएं है। पंजाब में एक तरफ कांग्रेस और अकाली दल समेत कई सिख संगठनों द्वारा इसका खुलकर विरोध किया जा रहा है। दूसरी तरफ ‘ जनमत 20-20’ का समर्थन कर रही पंथक पार्टियां जिनमें गर्मदलीय संगठन दल खालसा और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने भी सवाल उठाए है।
दल खालसा के प्रधान हरपाल सिंह चीमा और अकाली दल (अमृतसर) के प्रधान और पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान द्वारा सिखज़ फार जस्टिस के संचालक गुरू पतवंत सिंह पन्नू को स्पष्टीकरण के लिए एक खत भेजा है। जिसमें उन्होंने कुछ शंकाओं के निवारण के लिए कहा है, ताकि 12 अगस्त को लंदन में होने वाली कांफ्रेंस में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। इस खत में उन्होंने कहा कि इन आशंकाओं और चिंताओं को कांफ्रेंस का विरोध ना समझा जाएं। 2 पन्नों के खत में उन्होंने 8 प्रश्रों के उतर मांगे है, ताकि सिख कौम आगे ‘ जनमत 20-20’ संबंधी स्थिति स्पष्ट हो सकें।
पंजाब : शिरोमणि अकाली दल के लिए खड़ी हो सकती है बड़ी मुश्किलें
उन्होंने सवाल उठाते पूछा है कि यह स्पष्ट किया जाएं कि पंजाब में ऐसा जनमत किस प्रकार होगा और कौन इसे करवाएंगे। जनमत संयुक्त राष्ट्र के आदेशों या निगाहबानी के अंतर्गत होते है या फिर काबिज देश के प्रतिनिधियों द्वारा करवाया जाता है। परंतु इस प्रस्ताव में ऐसा कुछ स्पष्ट नहीं कि इस जनमत में संसार भर में बसे सिखों के लिए कोई समिति होंगी या उसमें सभी पंजाबी हिस्सा ले सकेंगे। यह कैसे होंगा कि कौन प्रमाणित वोटर है और इसके फैसले करने का अधिकार किसके पास होगा कि कौन सही वोटर है। पंजाब में इस आंदोलन की रहनुमाई कौन करेंगा? क्या ऐसी कार्यवाही पंजाब और भारत में सरकारी तश्दद को बढ़ावा देंगी? तो आम लोगों की रक्षा के लिए कौन जिम्मेदार होगा? ‘ जनमत 20-20’ के बाद अलग सिख राज अस्तित्व में आएंगा। क्या ऐसी धारणाओं को फैलाने वाले लोगों को धोखे में रखना नही होगा? दोनों सिख आगुओं ने आशा प्रकट करते हुए संबंधित सिख आगु इस बारे में लोगों को सारी स्थिति स्पष्ट करें।
दोनों आगुओं ने अपने पत्रों में यह भी लिखा कि दोंनों सिख संगठन पंजाब में जनमत करवाने के लिए कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मामले उठा चुके है। जिस कारण दोनों संगठनों को सरकारी अत्याचारों का सामना करना पड़ा है और इनके आगुओं के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हुए है। उन्होंने कहा कि वक्त पंजाब में कोई भी प्रमख सियासी समूह जनमत की मांग नहीं कर रहा और ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं बनाई गई। जिसके द्वारा समस्त सिख कौम इस संबंध में अपनी राय को यकीनी बनाया जा सकें।
– सुनीलराय कामरेड