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फसल बीमे को लेकर राज्य सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रही है : देवेंद्र फडणवीस

भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार अधिक प्रीमियम देने के बावजूद यह सुनिश्चित करने में नाकाम रही है कि बीमा कंपनियां किसानों को पर्याप्त मुआवजा दें।

07:01 PM Jun 02, 2021 IST | Desk Team

भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार अधिक प्रीमियम देने के बावजूद यह सुनिश्चित करने में नाकाम रही है कि बीमा कंपनियां किसानों को पर्याप्त मुआवजा दें।

 भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार अधिक प्रीमियम देने के बावजूद यह सुनिश्चित करने में नाकाम रही है कि बीमा कंपनियां किसानों को पर्याप्त मुआवजा दें। फडणवीस ने मध्य महाराष्ट्र के परभणी में पत्रकारों से कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रही है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने बीमा कंपनियों से चार हजार करोड़ रुपये का भुगतान कराया था जबकि प्रीमियम 576 करोड़ रुपये लिया गया था। फडणवीस ने आरोप लगाया, “राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में देरी की। सरकार को फसल बीमे के लिए कंपनियां नियुक्त करने का अधिकार है। वे विफल रहे हैं। इन नाकामियों को छुपाने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं।”
इस हफ्ते के शुरू में राजस्व राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार ने आरोप लगाया था कि बीमा कंपनियां किसानों को मुआवजा नहीं दे रही हैं। उन्होंने कहा था कि राज्य और केंद्र सरकार ने पिछले साल 5800 करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान किया था और किसानों को सिर्फ 1000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। कृषि मंत्री दादा भूसे ने कहा था कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। इस बीच, इलाके में कोविड-19 केंद्र का मुआयना करने वाले फडणवीस ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के तहत दिए गए वेंटिलेटर परभणी के अस्पतालों में ठीक चल रहे हैं। ऐसे आरोप लगे हैं कि केंद्र द्वारा मुहैया कराए गए वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने मामलों की संख्या 50 लाख के पार जाने के बाद निजी अस्पतालों में कोविड ​​-19 उपचार की मानक दरों की घोषणा करने पर राज्य सरकार पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि अगर दरें पहले घोषित कर दी जातीं तो लोगों को लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता।

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