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एयरपोर्ट पर यात्रियों का दर्द

04:59 AM Dec 07, 2025 IST | Kiran Chopra
एयरपोर्ट पर यात्रियों का दर्द
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा

अलग-अलग एयरपोर्टों पर अगर लगभग एक लाख से ज्यादा यात्री केवल फ्लाइटें न उड़ने की वजह से फंसे रहे तो उनकी हालत क्या होगी? अगर एयरपोर्टों पर यात्रियों की भीड़भाड़ में किसी को पानी की बोतल के लिए सौ रुपया देना पड़े और किसी पिता को अपनी बच्ची के सेनेट्री पेड के लिए एयरपोर्ट पर मिन्नत करनी पड़े। इंडिगो एयरलाइंस के ऑपरेशनल सिस्टम के बिगड़ जाने से पिछले पांच दिन से लगभग 2000 से ज्यादा फ्लाइटें रद्द कर दी गईं। 25-25 घंटे तक लोग एयरपोर्टों पर फंसे रहने के बाद वापस घर पहुंच रहे हैं। लोगों ने वीडियो भेजे और वीडियो काल करके एयरपोर्ट पर अपने हालात दिखाए। लोगों का दर्द जब छलकता है तो आंसू निकल आते हैं। ऐसी कोई भी एयरलाइंस हो उसके खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए। सोशल मीडिया पर अनेक लोगों ने लिखा कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि इंडिगो एयरलाइन ने लाखों यात्रियों को पिछले पांच दिनों से बंधक बनाकर रख दिया है। इनके खिलाफ अापराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
अब कहीं जाकर सरकार ने लाखों लोगों की टिकट का रिफंड करने के लिए इंडिगो को कहा है लेकिन नियमों के चलते इंडिगो ने जो खेल लोगों को सुविधा देने के नाम पर खेला उसे लेकर इनके खिलाफ एक्शन तो बनता है। हालत यह है कि दिल्ली से जयपुर का टिकट 90000 में बिक रहा है, दिल्ली से मुंबई का टिकट 70000 रुपये पर पहुंच गया। लोग दस गुना कीमत ज्यादा देकर अपने गंतव्य पर अगर पहुंच रहे हैं तो ज्यादा किराया वसूलने वालों पर भी एक्शन होना चाहिए। सारे एयरपोर्ट यात्रियों की भीड़ का ऐसा नजारा पेश कर रहे हैं मानो कोई लोकल बस अड्डा हो। दिल्ली एयरपोर्ट पर हजारों लोग जमीन पर ही सामान समेत बैठे रहे लेकिन इंडिगो ने 24 घंटे तक उन्हें कोई सूचना नहीं दी तो क्यों?
इंडिगो संकट के चलते कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर बड़े एयरपोर्ट चाहे वह दिल्ली, बैंगलुरु, चैन्नई, जयपुर, मुम्बई या कोलकाता हो इंडिगो की उड़ानें रद्द होती गईं और हजारों लोग एयरपोर्ट पर फंस गए। आप्रेशनल सिस्टम बिगड़ चुका है लेकिन बेचारे लोग भारी कीमत देकर भी यात्रा नहीं कर पाते हैं तो सारा कसूर इंडिगो का है और कड़ा एक्शन उससे भी ज्यादा जरूरी है।
इन हवाई यात्रियों को इंडिगो की तरफ से ना कोई मदद मिल पाई है, ना ही उड़ान से संबंधित कोई सटीक जानकारी मिल पा रही है। कुछ एयरपोर्ट्स पर हालात ये हैं कि खाना, पानी और जरूरी सामानों के लिए यात्रियों और इंडिगो एयरलाइन के स्टाफ में झड़प भी हो गई।
डीजीसीए के नए नियम ये थे कि 7 दिन लगातार काम करने के बाद फ्लाइट स्टाफ को 2 दिन की छुट्टी दी जाए। नाइट लैंडिंग की अधिकतम सीमा 6 से कम करके 2 कर दी गई। नाइट लैंडिंग से मतलब ये है कि रात की शिफ्ट में फ्लाइट स्टाफ को अलग-अलग एयरपोर्ट्स पर कितनी बार लैंड करवाया गया। इसके अलावा फ्लाइट स्टाफ की नाइट शिफ्ट को लगातार 2 रातों से ज्यादा ना करने के लिए कहा गया। लंबी उड़ानों के बाद पायलट को कम से कम 24 घंटे का आराम अनिवार्य किया गया। नाइट शिफ्ट की टाइमिंग भी रात 12 से सुबह 6 बजे तक कर दी गई, पहले ये 5 बजे तक थी। लाखों लोग एयरपोर्ट पर फंस गए हैं।
इन नियम को लागू करने का असर ये हुआ कि इंडिगो एयरलाइंस के पायलट और Crew की संख्या अचानक कम हो गई। इससे फ्लाइट शेड्यूल बिगड़ गया जिससे स्थिति खराब हो गई। डीजीसीए के नियम सभी एयरलाइंस कंपनियों के लिए थे और सभी ने धीरे-धीरे इन नियमों को अपनाया लेकिन इंडिगो में अव्यवस्था इसलिए फैली, क्योंकि ये भारत की सबसे ज्यादा उड़ानें संचालित करने वाली एयरलाइन कंपनी है। इंडिगो एयरलाइंस प्रतिदिन 2300 उड़ानें संचालित करती है। ये एयर इंडिया की उड़ानों से करीब दोगुनी है। घरेलू उड़ानों में इंडिगो का मार्केट शेयर 64 प्रतिशत है, और दूसरी बड़ी एयरलाइंस कंपनी 'एयर इंडिया' का मार्केट शेयर 27 प्रतिशत है। एक तरह से देखा जाए तो घरेलू मार्केट में इंडिगो एयरलाइंस का ही वर्चस्व है। दिक्कत ये आई कि इंडिगो के पास उड़ानों को संचालित करने के लिए जितने पायलट और फ्लाइट स्टाफ था, वो नए नियमों को लागू करने के बाद कम पड़ गए। इंडिगो ने नियमों को लागू तो कर दिया लेकिन ये नहीं सोचा कि कितने ज्यादा पायलट और अन्य स्टाफ की जरूरत पड़ने वाली है। योजना बनाने में हुई इस लापरवाही की वजह से हवाई यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी, हालांकि सरकार ने यात्रियों की परेशानी को देखते हुए इंडिगो को कुछ दिनों की छूट दे दी है, साथ ही चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई है जो इस लापरवाही की जांच करेगी।

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Kiran Chopra

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