पटना जू की बुज़ुर्ग हथिनी माला नहीं रही: 55 साल की उम्र में कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर से मौत
55 साल की माला की कार्डियक फेलियर से विदाई
पटना जू की बुज़ुर्ग हथिनी माला का 55 साल की उम्र में कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर से निधन हो गया। माला, जो लंबे समय से बीमारियों से जूझ रही थी, ने रविवार को अंतिम सांस ली। उसकी मौत ने जू प्रशासन को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि एक दिन पहले ही मादा गौर की भी मृत्यु हुई थी।
पटना जू की सबसे बुज़ुर्ग और लोकप्रिय हथिनी माला ने रविवार को अंतिम सांस ली। 55 साल की माला पिछले कई महीनों से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी। वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई थी और खाना-पीना भी छोड़ चुकी थी। पैर में घाव और नाखून उखड़ने जैसी समस्याएं लंबे समय से बनी हुई थीं। जू प्रशासन के अनुसार, प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में माला की मौत का कारण कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर बताया गया है। माला की मौत से ठीक एक दिन पहले शनिवार को पटना जू में मादा गौर की भी मृत्यु हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, गौर की मौत थिलेरियोसिस नामक संक्रमण से हुई, जिसका इलाज पिछले 20 दिनों से किया जा रहा था। लगातार दो दिनों में दो जानवरों की मौत ने जू प्रशासन को चिंता में डाल दिया है।
माला की बीमारी और मौत की जांच जारी
पटना जू के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि माला के विसरा सैंपल को विस्तृत जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली भेजा गया है। माला के इलाज के लिए देशभर के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही थी, लेकिन उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। जू में माला को विशेष देखरेख में रखा गया था। अब उसके मौत के पीछे के कारणों की पूरी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
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लोगों की यादों में जीवित रहेगी ‘शांत माला’
माला न सिर्फ जू प्रशासन के लिए बल्कि जू में आने वाले हजारों बच्चों और परिवारों के लिए भी खास थी। वर्ष 2003 तक माला पर हाथी सवारी कराई जाती थी। उसका शांत स्वभाव लोगों को आकर्षित करता था। हाथी सवारी बंद होने के बाद भी माला को हर सोमवार जू में घुमाया जाता था। विशेष मौकों और हाथी दिवस पर उसका खास तरीके से स्वागत किया जाता था।