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पीपल की पूजा के होते हैं बहुत फायदे ,लेकिन इस समय भूलकर न जाएं पीपल के पास ना करें पूजा

पीपल के पेड़ में विष्णु जी मां लक्ष्मी का वास माना गया है।कार्तिक में पीपल की पूजा की पूजा बहुत लाभकारी होती है लेकिन इसकी उपासना के भी कुछ नियम है।इनका पालन करने पर ही

09:52 AM Oct 20, 2022 IST | Desk Team

पीपल के पेड़ में विष्णु जी मां लक्ष्मी का वास माना गया है।कार्तिक में पीपल की पूजा की पूजा बहुत लाभकारी होती है लेकिन इसकी उपासना के भी कुछ नियम है।इनका पालन करने पर ही

पीपल के पेड़ में विष्णु जी मां लक्ष्मी का वास माना गया है।कार्तिक में पीपल की पूजा की पूजा बहुत लाभकारी होती है लेकिन इसकी उपासना के भी कुछ नियम है।इनका पालन करने पर ही फायदा मिलता है।
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हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष का बहुत महत्व है। इसे सभी वृक्ष से शुद्ध और पूजनीय माना गया है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहा जाता है। हिंदु दर्शन में लिखा गया है कि पीपल के पत्ते पत्ते में देवताओं खास कर विष्णु भगवान का वास होता है।  शनिवार के दिन शनिदेव के साथ इसकी भी काफी पूजा की जाती है कहते हैं इससे काम में सफलता मिलती है। इसके पूजन के कुछ नियम भी हैं कहते हैं इस नियम के साथ जो पूजन करता है वो कष्‍टों से मुक्‍त हो जाता है। आइए जानें इसके पूजन से जुड़े कुछ ऐसे ही कारणों को।
पीपल की पूजा भूलकर भी सूर्योदय से पहले न करें।ऐसा करने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से पूर्व पीपल में मां लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी निवास करती हैं।जो दरिद्रता का प्रतीक हैं।वहीं रविवार को पीपल में जल न चढ़ाएं।
पीपल के पेड़ में नियमित रुप से जल चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शत्रुओं का नाश होता है साथ ही सुख संपत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। इसकी पूजा से ग्रह दोषों से भी निवारण मिलता है। कई लोग अमावस्या और शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा में विश्वास रखते हैं। ऐसा करने से सारी परेशानियां दूर होती हैं। 
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से काफी लाभ मिलता है। हर दिन ये करना संभव नहीं हो पाए, तो प्रत्येक शनिवार भी को ये करना लाभदायक सिद्ध होता है। ऐसा करने से रुके और बिगड़े काम बन जाते हैं साथ ही जीवन में सफलता मिलती है। शनिवार को इस पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है। पीपल के वृक्ष को काटना वर्जित माना जाता है क्योंकि ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलता है और वंशवृद्धि में भी रुकावट होती है। 
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