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तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थायी कमीशन

02:20 AM Feb 28, 2024 IST | Aditya Chopra
तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थायी कमीशन

भारत की तीनों सेनाओं में महिलाओं के लिए कई शाखाओं के दरवाजे खोलने से अब उनकी हिस्सेदारी में बढ़ौतरी हो रही है। सेना में जहां 12 नई शाखाओं में महिला अधिकारियों की नियुक्तियां की जा रही हैं, वहीं नौसेना और वायुुसेना में महिलाओं की भर्ती बढ़ रही है। वायुसेना में लड़ाकू विमानों में पहले ही महिला पायलटों की नियुक्ति हो रही है जबकि नौसेना में युद्धक पोतों पर भी महिलाओं की नियुक्तियां हो रही हैं। टोही विमानों के पायलट के रूप में महिलाओं की भर्ती शुरू हो चुकी है। नौसेना और वायुसेना में महिला अग्निवीरों की भर्ती हो रही है। कभी वह दौर था जब सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका डॉक्टर और नर्स तक ही सीमित थी। भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति की शुरूआत 1992 में हुई थी। महिला अधिकारियों को नॉन मेडिकल जैसे विमानन, रसद, कानून, इंजीनियरिंग, एक्जीक्यूटिव कैडर में नियमित अधिकारियों के रूप में पांच वर्ष की अवधि के लिए कमीशन दिया जाता था जिसकी समाप्ति पर उसे 5 वर्ष और बढ़ाया जा सकता था। भारतीय सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केन्द्र सरकार से शार्ट सर्विस कमीशन की सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को कहा था।
इस फैसले ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका​ निभाई है। संपूर्ण वैश्विक इतिहास पर गौर करें तो ज़ाहिर होता है कि समाज में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका ने राष्ट्रों की स्थिरता, प्रगति और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मौजूदा समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र शेष नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज न की हो। पुरुष प्रधान माने जाने वाले सैन्य क्षेत्र में भी महिलाओं की भूमिका काफी सराहनीय रही है और उन्होंने अतीत के कई युद्ध अभियानों में हिस्सा लिया है। भारतीय सशस्त्र बल में अपनी भूमिका के माध्यम से महिलाओं ने आत्मविश्वास और साहस के नए प्रतिमान स्थापित किये हैं। भारतीय सेना में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई शौर्य आैर सेना पदक जीत कर महिलाएं अपनी क्षमता साबित कर चुकी हैं। इसलिए सेना में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए मानसिकता में परिवर्तन की जरूरत है। अब सेना में महिलाएं कॉम्बैट की भूमिका में भी आ चुकी हैं।
अब सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड (तटरक्षक बल) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन न देने पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार इस बात को सुनिश्चित करे कि इंडियन कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दे। कोर्ट ने सख्त लहजे में चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम फैसला कर देंगे। पीठ ने कहा कि महिलाओं को अपने हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए सरकार उन्हें स्थायी कमीशन दे। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि 'शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों (एसएससीओ) को स्थायी कमीशन देने में कुछ कार्यात्मक और परिचालन संबंधी कठिनाइयां हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'ये सभी कार्यक्षमता आदि जैसा तर्क वर्ष 2024 में कोई मायने नहीं रखता, महिला अधिकारियों को अपने हाल पर छोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए आप (केंद्र) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देते हैं तो हम ऐसा करेंगे, इसलिए उस पर एक नजर डालें। इस पर अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने पीठ से कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए भारतीय तटरक्षक बल द्वारा एक बोर्ड स्थापित किया गया है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि उस बोर्ड में महिलाएं भी होनी चाहिए। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि आईसीजी को ऐसी नीति बनानी चाहिए जो महिलाओं के साथ 'निष्पक्ष" व्यवहार करे। सुप्रीम कोर्ट भारतीय तटरक्षक अधिकारी प्रियंका त्यागी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने याचिका में योग्य महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की मांग की है।
पीठ ने यह भी सवाल किया कि भारतीय सेना के तीनों अंगों में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया जा रहा है तो तटरक्षक बल को लेकर केन्द्र पितृस्तात्मक दृष्टिकोण क्यों अपना रहा है। याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी ने दलील दी है कि 14 साल की नौकरी में सहायक कमाडैंट के पद पर काम करते हुए समुद्र में 300 से ज्यादा लोगों की जानें बचाई हैं। फिर भी उसके इस योगदान के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन देने से इंकार कर दिया गया। महिलाओं को कॉम्बैट भूमिका देने को लेकर मतभेद अभी भी बने हुए हैं। महिला पुरुष के बीच कद, ताकत और शारीरिक संरचना में प्राकृतिक विभिन्नता के कारण महिलाएं चोटों और मेडिकल समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं लेकिन अनेक महिलाओं ने अपने साहस का प्रदर्शन करते हुए सभी दलीलों को निराधार साबित कर दिया है। वास्तव में आज की दुनिया में युद्ध, हथियार और रणनीति में अद्भुत खोजों और नवाचारों के साथ कौशल की नई प्रवृत्ति को प्राथमिकता मिल रही है, जिसे पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा समान रूप से हासिल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि वह तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के संबंध में महत्वपूर्ण फैसला करेगा ताकि भविष्य में इस क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने में महिलाएं सक्षम हो सकें।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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