टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

खतौली से भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए गए भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी द्वारा दायर उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी। सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया था।

02:21 AM Nov 24, 2022 IST | Shera Rajput

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए गए भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी द्वारा दायर उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी। सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया था।

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए गए भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी द्वारा दायर उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी। सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया था।
Advertisement
सैनी की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, “आपराधिक गतिविधियों के परिणाम स्वरूप अयोग्यता, राष्ट्र हित, नागरिक हित, सांप्रदायिक सौहार्द और सुशासन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी होती है। याचिकाकर्ता की महज यह दलील कि दोषसिद्धि की वजह से वह 1951 के कानून के तहत (विधानसभा की सदस्यता के लिए) अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे, दोषसिद्धि को निलंबित करने का आधार नहीं है।”
अदालत ने कहा, “दोषसिद्धि को निलंबित करने के अधिकार का उपयोग केवल दुर्लभ मामलों में किया जाना चाहिए। जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा-8 कुछ निश्चित अपराधों के लिए दोषी होने पर अयोग्यता की व्यवस्था देता है। इस कानून के दायरे में आने वाले भारतीय दंड संहिता के अपराध एक स्वस्थ लोकतंत्र के मूल्यों को खत्म कर सकते हैं, आर्थिक स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
उच्च न्यायालय ने 18 नवंबर को इस मामले में सैनी की सजा निलंबित कर उन्हें जमानत दे दी थी। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 22 नवंबर तय की थी। अदालत ने मंगलवार को सैनी के वकील और सरकारी वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सैनी के वकील ने दलील दी थी कि उसके मुवक्किल को राजनीतिक कारणों से इस मामले में झूठा फंसाया गया है क्योंकि जब 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था, प्रदेश में विरोधी पार्टी की सरकार थी। इसके अलावा, इस घटना में कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ और ना ही कोई सरकारी गवाह मौजूद है।
उन्होंने यह दलील भी दी थी कि दोषसिद्ध होने की वजह से सैनी को विधायक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है और उनकी विधानसभा सीट खतौली रिक्त हो गयी है। जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, वह छह वर्षों के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते। इसलिए न्याय हित में उनकी दोषसिद्धि निलंबित की जानी चाहिए।
सैनी के वकील की सभी दलीलें खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “यहां जो भी आधार लिए गए हैं, वह किसी भी प्रकार से अदालत को अपील नहीं करता। यहां मुकदमे की पूरी सुनवाई हुई जिसके बाद याचिकाकर्ता को दोषी करार दिया गया। निचली अदालत ने साक्ष्य को विश्वसनीय पाया है।”
खतौली विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर की एमपी/एमएलए अदालत ने 11 अक्टूबर को सैनी और अन्य 10 लोगों को मुजफ्फरनगर दंगा मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
 
Advertisement
Next Article