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PFI case: इसरार अली और मोहम्मद समून को मिली राहत, अदालत ने दी सशर्त जमानत

प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पॉलिटिकल विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष इसरार अली खान तथा पीएफआई के पूर्व मीडिया प्रभारी मोहम्मद समून को पटियाला हाउस कोर्ट ने सशर्त बेल दे दी हैं।

03:21 PM Dec 06, 2022 IST | Desk Team

प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पॉलिटिकल विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष इसरार अली खान तथा पीएफआई के पूर्व मीडिया प्रभारी मोहम्मद समून को पटियाला हाउस कोर्ट ने सशर्त बेल दे दी हैं।

pfi case  इसरार अली और मोहम्मद समून को मिली राहत  अदालत ने दी सशर्त जमानत
प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पॉलिटिकल विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष इसरार अली खान तथा पीएफआई के पूर्व मीडिया प्रभारी मोहम्मद समून को पटियाला हाउस कोर्ट ने सशर्त बेल दे दी हैं। 
जानें किन शर्तों के साथ मिली जमानत :
कोर्ट ने कहा कि इसरार अली खान और मोहम्मद समून बिना अदालत की इजाजत के देश से बाहर नहीं जाएंगे। साथ ही दोनों हर 14 दोनों पर स्टेशन हाउस ऑफिसर को रिपोर्ट करेंगे। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इसरार और समून को जब भी जांच अधिकारी पूछताछ के लिए बुलाएंगे तो इन्हें हाजिर होना पड़ेगा। अगर दोनों में से किसी को दिल्ली से बाहर जाना होगा तो   10 दिन पहले कोर्ट को सूचित करना होगा। 
सबूत के अभाव के कारण मिली बेल 
आरोप है कि इसरार और समून केंद्र सरकार द्वारा इस्लामी संगठन पीएफआई को बैन किए जाने के बाद से ही हिंसक गतिविधि को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने 5 अक्टूबर को दोनों को अरेस्ट कर लिया था। पुलिस के पास दोनों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं थे जो यह साबित कर सके कि इसरार और समून गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त थे। सबूत के अभाव के कारण अदालत ने दोनों को जमानत दे दी।  
पीएफआई का संदिग्ध इतिहास 
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर शुरुआत से ही राष्ट्र विरोधी तत्वों को समर्थन देने के आरोप लगते रहे है। राष्ट्रीय राजधानी में CAA-NRC को लेकर हुए दंगों में भी इसका नाम शीर्ष पर था। बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने की शाजिश रचने में भी पीएफआई का नाम आया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि पीएफआई राष्ट्र के लिए खतरा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएफआई भारत में गृहयुद्ध कराना चाहता था। माना जाता है कि पीएफआई द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देना भी इसी क्रम का हिस्सा था।
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