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कल से शुरू हो रहा है पितृपक्ष,अगर आप भी करतें हैं ऐसी गलतियां तो पितरों की आत्मा हो जाएगी नाराज

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का खास महत्व है। इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक हैं।

08:20 AM Sep 12, 2019 IST | Desk Team

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का खास महत्व है। इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक हैं।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का खास महत्व है। इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक हैं। इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण दिया जाता है।
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इसलिए यह पूजा पूरी विधिपूर्वक की जानी चाहिए। मान्यता है कि यदि आप पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही करते हैं तो आपके पितरों की आत्मा को ना तो शांति मिल पाती है साथ ही वो नाराज या अशांत हो सकते हैं। इसलिए आपको श्राद्घ में कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। तो आइए आज हम आपको पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने वाली कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे जिससे आपकी पूजा सही तरीके से बिना कोई गलती करे हो सके।
1.जरूरी है तर्पण और पिंडदान
पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के  लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है। मान्यता के अनुसार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है पितृपक्ष में पितरों की पूजा न करने से पूर्वजों को मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती है और उनकी आत्मा भटकती रहती है। इस वजह से विधि पूर्वक पितृपक्ष के दौरान पूजा करते हुए तर्पण और पिंडदान जरूर करना चाहिए। 
2.अशुभ प्रभाव हो सकता है
पितृपक्ष में पितरों की पूजा के समय इस बात का खास ध्यान रखें कि आपको लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना है। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का इस्तेमाल करने से परिवार पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसी वजह से इन दिनों तांबा,पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 
3.ये काम नहीं करें
पितृपक्ष के दौरान अगर आप पूर्वजों का श्राद्घ कर रहे हैं तो न ही शरीर पर तेल का प्रयोग करें और ना ही आप पान खाएं। साथ ही इन दिनों किसी दूसरे के घर का खाना भी खाना वर्जित होता है। 
4.सही नहीं खरीदारी करना
पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शुद्घि के लिए पूजा करी जाती है। यह समय पूर्वजों को याद करने और शोक मनाने का होता है। या यूं कह लो शोकाकुल माहौल होता है। इसलिए धार्मिक मान्यता यह है कि इस समय में कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही घर में किसी भी तरह की कोई नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ होता है। 
5.खाली हाथ न लौटाएं
इन बंधे दिनों में दरवाजे पर आने वाले भिखारी या किसी मजबूर व्यक्ति को बिना भोजन कराए न जाने दें। इसके साथ ही घर की छत पक्षी और पशु पक्षियों के लिए खाना जरूर रखें। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं। 
6.पुरुषों को रखना चाहिए खास ध्यान
पितृपक्ष के दौरान जो भी पुरुष अपने पूर्वजों का श्राद्घ करते हैं उन्हें विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान उन्हें अपनी दाढ़ी नहीं बनवानी है और न ही बाल कटवाने हैं। इस बात का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है कि इन पंद्रह दिनों में बाल या दाढ़ी कटवानेसे धन हानि की परेशानी हो सकती है।
7.पितरों को लगाएं भोग
पितृपक्ष में अपने घर के सात्विक भोजन से ही पितरों को भोग लगाना चाहिए। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो आप उस दिन पिंडदान भी कर सकते हैं। नहीं तो पितृपक्ष के अंतिम दिन पिंडदान एंव तर्पण की विधि से पूजा संपन्न करें। 
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