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पितरों का पावन पक्ष हुआ प्रारंभ,जानिए घर पर कैसे अपने पितरों को दें तर्पण

14 सितंबर 2019 से पितृपक्ष शुरू हो गया है। इन दिनों नाराज पितरों को मनाया जाता है। उनकी आत्मा की शांति के लिए पितर तर्पण किया जाता है।

06:30 AM Sep 14, 2019 IST | Desk Team

14 सितंबर 2019 से पितृपक्ष शुरू हो गया है। इन दिनों नाराज पितरों को मनाया जाता है। उनकी आत्मा की शांति के लिए पितर तर्पण किया जाता है।

14 सितंबर 2019 से पितृपक्ष शुरू हो गया है। इन दिनों नाराज पितरों को मनाया जाता है। उनकी आत्मा की शांति के लिए पितर तर्पण किया जाता है। हिंदू धर्म में श्राद्घ का बहुत महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं से पहले पितरों की पूजा की जानी चाहिए। क्योंकि यदि पितर आपसे प्रसन्न हो जाते हैं तो देवताओं का आशीर्वाद आपको खुद ब खुद मिल जाएगा। पितृपक्ष में अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप घर पर इस विधि से उनका तर्पण कर सकते हैं।
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श्राद्घ करने की विधि…
1.कई सारे लोग श्राद्घ पक्ष में अपने पितरों का तर्पण करने के तीर्थ स्थल पर जाते हैं। लेकिन आप चाहे तो घर पर भी अपने पितरों का श्राद्घ कर सकते है जिसकी विधि इस प्रकार है।
2.जिस भी दिन आपको श्राद्घ करना हो उस दिन आप अपने घर पर किसी विद्वान पुरोहित,श्रेष्ठ ब्राह्मण या दामाद,भतीजा आदि को बुला सकते हैं।
3.इस दिन साफ सुथरे होकर पितरों के लिए भोजन बनाए। खासतौर पर ध्यान रहे जिस व्यक्ति का आप श्राद्घ कर रहे हैं उसकी पसंद के अनुसार खाना बनावाएं। भोजन में लहसुन प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
4.पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध,घी और खीर अर्पित करें।
5.अब पितरों के लिए बनाए गए भोजन में से 4 ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय,एक कुत्ते,एक हिस्सा कौए और एक आप अतिथि के लिए रखें।
6.इसके बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन करवाएं और उन्हें दक्षिणा आदि देकर उनका सम्मान करें।
7.ब्राह्मण भोज करने के बाद पितरों को धन्यवाद करें और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए उनसे मांफी मांगे। इसके बाद आप भोजन खा सकते हैं। 
आर्थिक तंगी या फिर किसी अन्य कारणों की वजह से कोई व्यक्ति बड़ा श्राद्घ नहीं कर सकता है तो उसे पूर्ण श्रद्घा भाव से अपने सामथ्र्य अनुसार उपलब्ध अन्न,साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को देनी चाहिए। यदि ऐसा करना पाना भी मुश्किल है तो आप 7-8 मुट्ठी तिल,जल समेत किसी ब्राह्मण को दान कर दें। ऐसा करने से भी श्राद्घ का पुण्य प्राप्त होता है।
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