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श्यामा प्रसाद मुखर्जी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ रविवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम ने मुखर्जी को देश का महान सपूत, प्रख्यात विचारक और शिक्षाविद् बताया। एक्स पर एक पोस्ट में पीएम ने लिखा, "देश के महान सपूत, प्रख्यात विचारक और शिक्षाविद् डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर सादर श्रद्धांजलि। उन्होंने अपना जीवन मां भारती की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका गतिशील व्यक्तित्व देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।"
Highlight :
मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर याद करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, देश की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 'एक निशान, एक विधान, एक प्रधान' का नारा देकर जम्मू-कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बनाने के संघर्ष में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारतीय संस्कृति का यह सितारा हमेशा चमकता रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र प्रथम के मार्ग पर ले जाएगा।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में मुखर्जी को पुष्पांजलि अर्पित की और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पौधे वितरित किए। नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, भारतीय जनसंघ के संस्थापक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार, प्रख्यात विचारक और शिक्षाविद् श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर मैं अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की प्रगति और गौरव के लिए समर्पित कर दिया। भारत की संप्रभुता की रक्षा और शिक्षा जगत के लिए उनका कार्य अविस्मरणीय है।
उन्होंने कहा, डॉ. श्यामा प्रसाद जी का त्याग और समर्पण हर भारतीय को राष्ट्र को सर्वोपरि रखने और अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में भी काम किया। भाजपा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, लिकायत अली खान के साथ दिल्ली समझौते के मुद्दे पर मुखर्जी ने 6 अप्रैल, 1950 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। बाद में 21 अक्टूबर, 1951 को मुखर्जी ने दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। मुखर्जी 1953 में कश्मीर दौरे पर गए और 11 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 23 जून, 1953 को नजरबंदी में उनकी मृत्यु हो गई।