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PM Modi Laos Visit : समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता : पीएम

04:35 PM Oct 11, 2024 IST | Abhishek Kumar
pm modi laos visit   समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता   पीएम

PM Modi Laos Visit : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के विभिन्न भागों में जारी संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर पड़ने का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को यूरेशिया और पश्चिम एशिया में यथाशीघ्र शांति एवं स्थिरता की बहाली का आह्वान किया।

PM Modi Laos Visit : युद्ध से नहीं निकल सकता समस्याओं का समाधान

मोदी ने 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) को संबोधित करते हुए कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता। बता दें कि क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत पूरे क्षेत्र में शांति तथा प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हित में है। साथ ही मोदी ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि समुद्री गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के तहत संचालित की जानी चाहिए।

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PM Modi Laos Visit : पीएम मोदी ने आगे कहा कि प्रभावी आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। और इससे क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर कोई अंकुश नहीं लगना चाहिए।’’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘हमारा दृष्टिकोण विकासवाद का होना चाहिए, न कि विस्तारवाद का।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों के कारण सबसे अधिक नकारात्मक रूप से प्रभावित देश ‘ग्लोबल साउथ’ के हैं। उन्होंने कहा कि यूरेशिया और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल करने की सामूहिक इच्छा है।

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PM Modi Laos Visit : ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता।’’प्रधानमंत्री ने कहा, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से, “हमें संवाद और कूटनीति पर अधिक जोर देना चाहिए।”

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