RSS से BJP, फिर CM से PM तक...पीएम मोदी के जन्मदिवस पर पढ़ें उनके संघर्षों का सफर
PM Modi Life Journey: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपना 75वां जन्मदिवस मनाएंगे। उन्होंने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में 26 मई 2014 को शपथ ली। यह दिन भारतीय राजनीति के इतिहास में बेहद अहम रहा। उनकी लोकप्रियता ने उन्हें न केवल देश में, बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रभावशाली नेता बना दिया। आज वे वैश्विक स्तर पर सबसे चर्चित नेताओं में शामिल हैं। इस बीच पीएम मोदी प्रधानमंत्री बनने के 12 साल बाद पहली बार मोदी संघ के मुख्यालय पहुंचे हैं। इस दौरन उनके इस दौरे को लेकर सियासी गलियारों में बेहद चर्चा देखी जा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं बचपन से प्रधानमंत्री बनने तक कैसा रहा पीएम मोदी का 75 वर्षों का सफर।
PM Modi Life Journey: बचपन और प्रारंभिक जीवन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर शहर में हुआ था। एक साधारण परिवार में जन्मे मोदी बचपन से ही मेहनती और अनुशासित रहे। महज 8 वर्ष की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखा से जुड़ाव शुरू कर दिया।
PM Modi: संघ प्रचारक के रूप में शुरुआत
1960 के दशक के अंत में मोदी RSS के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने और अहमदाबाद के मणिनगर स्थित हेडगेवार भवन में रहने लगे। वहां उन्होंने प्रांत प्रचारक लक्ष्मणराव इनामदार के साथ काम किया, जो उनके गुरु माने जाते थे। 1972 में मोदी को प्रचारक की जिम्मेदारी दी गई।
आपातकाल में भूमिगत संघर्ष
1975 में जब देश में आपातकाल लगा, तो मोदी अंडरग्राउंड हो गए। उस दौर में उन्होंने सरकार विरोधी पर्चे बांटे और जेल में बंद RSS कार्यकर्ताओं के परिवारों की मदद की। इसके साथ ही उन्होंने जनसंघ के नेताओं से मुलाकात कर उनके अनुभव एकत्र किए।
संघ में बढ़ता कद
आपातकाल के बाद मोदी को विभिन्न पदों पर काम करने का मौका मिला। 1978 में वे विभाग प्रचारक, फिर संभाग प्रचारक और 1981 में प्रांत प्रचारक बने। उनका काम RSS के विभिन्न संगठनों जैसे ABVP, भारतीय किसान संघ, और VHP के साथ समन्वय बनाना था। इस दौरान उन्होंने कई अहम आयोजन किए, खासकर 1985 के दंगों के बाद हिंदू पीड़ितों के लिए।
बीजेपी में सक्रिय राजनीति की शुरुआत
1987 में लालकृष्ण आडवाणी ने मोदी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल कराया। उन्हें गुजरात BJP का संगठन मंत्री बनाया गया। यहां से मोदी की राजनीतिक यात्रा को नया मोड़ मिला। 1990 में उन्होंने आडवाणी की रथयात्रा और 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा का आयोजन किया।
राष्ट्रीय राजनीति में उदय
इन अभियानों के माध्यम से मोदी राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत आयोजक के रूप में उभरे। उनके नेतृत्व कौशल और संगठन क्षमता ने उन्हें पार्टी में ऊंचा स्थान दिलाया।
हाल की घटनाएं और आलोचना
2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन पूर्ण बहुमत नहीं मिला। अयोध्या जैसी महत्वपूर्ण सीट हारना पार्टी के लिए बड़ा झटका रहा। इसके बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत ने परोक्ष रूप से मोदी के नेतृत्व की आलोचना की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत हो सकता है कि मोदी का प्रभाव संघ से बड़ा हो गया है, जो संघ के लिए चिंता का विषय है।
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