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PM Modi ने UN पर उठाए सवाल, कहा जिम्मेदारियां निभाने में विफल साबित हुए

संयुक्त राष्ट्र की विफलताओं पर PM मोदी की कड़ी टिप्पणी

05:25 AM Mar 17, 2025 IST | Neha Singh

संयुक्त राष्ट्र की विफलताओं पर PM मोदी की कड़ी टिप्पणी

पीएम मोदी ने इंटरव्यू में यूनाइटेड नेशन की अप्रासंगिकता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यूएन अपनी मूल जिम्मेदारियों को निभाने में असफल रहा है, जिससे वैश्विक टकराव बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना कर सकें।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकन रिसर्चर  लेक्स फ्रिडमैन को इंटरव्यू दिया, जिसकी चर्चा अब पूरे देश में हो रही है। इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय से लेकर आध्यात्मिक विषयों तक पर बात की। इसी के साथ उन्होंने वैश्विक संघर्षों में इंटरनेशनल  ऑर्गेनाइजेशन की भूमिका पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने यूनाइटेड नेशन की भूमिका पर भी सवाल उठाए।

अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा यूएन- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में बढ़ते टकराव के पीछे एक बड़ी वजह है ये है कि जो इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन कभी बेहद प्रभावशाली हुआ करत थे, वे अब लगभग अप्रासंगिक हो चुके हैं। उन्होंने यूनाइटेड नेशन जैसे संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये संगठन अपनी मूल जिम्मेदारियों को निभाने में विफल साबित हो रहे हैं और उनमें कोई खास सुधार नहीं हो रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर पीएम मोदी ने कहा कि आज की दुनिया में  समाधान खोजने के बजाय कई संस्थाएं अपनी मूल भूमिका से भटक गई हैं। ऐसे में ये जरूरी हो गया है कि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में अहम सुधार किया जाए,  ताकि वे आज के समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बन  सकें।

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‘अंतर्राष्ट्रीय नियमों की अवहेलना कर रहे हैं कुछ देश’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक युद्ध को रोकने का एकमात्र उपाय यही है कि दुनिया विस्तारवाद की नीतियों को त्यागकर विकास केंद्रित रुख अपनाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ देश और नेता अंतरराष्ट्रीय नियमों का अनादर करके अपनी मनमानी कर रहे हैं, जिससे दुनिया में अशांति का माहौल है। उन्होंने कहा कि जब कोई देश वैश्विक कानूनों का पालन नहीं करता और इसके बावजूद उसे रोका नहीं जाता तो इससे दूसरे देशों में भी अस्थिरता की स्थिति पैदा होती है।

पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी राष्ट्र को केवल अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संघर्ष की नीति अपनाने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी देशों को अपने मतभेदों को भुलाकर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ताकि वैश्विक स्थिरता कायम रह सके।

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