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'कोरोना काल में पीएम मोदी ने रखा जनता का ख्याल, टैक्स बढ़ोत्तरी पर लगाया था ब्रेक'

07:33 PM May 01, 2024 IST | Gautam Kumar

Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि इस साल अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। वित्त मंत्री ने आगे बताया कि रिफंड के बाद, अप्रैल 2024 के लिए शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.92 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।

Highlights:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर में बढ़ोत्तरी करने से किया था मना

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इस सबके बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'मोदी स्टोरी' हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) बता रही हैं कि कैसे कोरोना के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें किसी भी तरह के कर में बढ़ोत्तरी करने से साफ मना कर दिया था। कैसे पीएम मोदी ने उनसे स्पष्ट कहा था कि कोरोना की लड़ाई में आम जनता को किसी भी तरह का अतिरिक्त भार नहीं देना है।

बता दें कि कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू और सुदृढ़ बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई पैकेज जारी किए गए थे। जिसकी वजह से कोरोना के विपरीत दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर रही और आज जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही है, भारत की अर्थव्यवस्था लगातार आगे की ओर बढ़ रही है।

वह इस वीडियो में बता रही हैं कि साल 2020 में जो बजट संसद में पेश किया गया, वह सिर्फ एक बजट नहीं था। बजट के ठीक बाद कोविड शुरू हुआ और तब अर्थव्यवस्था को और देश की हालत को पटरी पर बनाए रखने के लिए कई पैकेज दिए गए। यह एक तरह से मिनी बजट पेश करने जैसा था। यदि हम इसे एक साथ रखें, तो यह एक से अधिक एकल बजट के बराबर होगा।

उन्होंने आगे कहा कि वह तत्परता, वह गति, जिसके साथ आप आगे बढ़ेंगे और चीजों को सुलझाएंगे क्योंकि उस समय की यही मांग थी। आप राहत उपाय, आश्वासन भरे शब्द, योजनाएं लेकर आए थे, जो लोगों के लिए जरूरी थी।

उन्होंने कहा कि दो-तीन बातें जो आज भी मेरे मन में बहुत स्पष्ट रूप से ताजा हैं। पीएम मोदी ने तब कहा, भले ही हमारे पास पैसे की कमी हो, कोविड के खर्चों को पूरा करने के लिए हम कभी भी टैक्स नहीं बढ़ाएंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे पास इतने सारे संसाधन नहीं थे कि हम इतनी सारी चीजों पर खर्च कर सकें, जैसे की टीके, प्रयोगशालाएं जिनके लिए धन की आवश्यकता होती है और यदि आवश्यक हो तो टीके आयात करने के लिए भी। हम कर बढ़ाने के बारे में सोच रहे थे। लेकिन, पीएम मोदी स्पष्ट थे कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे।

लोगों को राहत देने पर था ध्यान

सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने साफतौर पर बोला, आप कोविड की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों से पैसे नहीं लेंगे। दूसरा उनका ध्यान लोगों को राहत देने पर था। प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना के साथ ही लोगों के बैंक खाते में सीधे रकम को भेजना लगातार जारी रखा गया। वह हर दूसरे दिन इसकी निगरानी कर रहे थे और पूछ रहे थे कि क्या यह चला गया, कितने लोगों को प्राप्त हुआ और क्या कार्य पूरा हुआ एवं कितना काम शेष रह गया। इसलिए, यह सिर्फ निर्देश या आदेश देना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि यह जमीनी स्तर पर पूरा हो और इसे कार्यान्वित किया जा रहा है या नहीं।

सीतारमण ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने हम सभी मंत्रियों को प्रतिदिन जिला कलेक्टरों के साथ बैठक कर बात करने को कहा। इससे पीपीई किट, मास्क, ऑक्सीजन जनरेटर की डिलीवरी सुनिश्चित हुई, अगर किसी अस्पताल में यह नहीं है तो यह हम पर निर्भर करता था कि हम इसे कहीं से भी प्राप्त करें और फिर उन्हें दें। मतलब वह इस बात पर भी ध्यान दे रहे थे कि स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तब जो जरूरी था, वह अस्पतालों को मिल रहा है या नहीं।

उन्होंने कहा कि यह वो चीजें हैं जो प्रधानमंत्री के स्तर पर करना वोट के लिए नहीं है। लेकिन, ऐसा इसलिए था क्योंकि वह इस देश को जानते हैं और वह इस देश के लिए ऐसा महसूस करते हैं। और, वह वास्तव में चीजों को ठीक उसी समय पर वितरित करना चाहते थे, जिस समय उसकी आवश्यकता थी, तब वह कोविड का काल था और आज उसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिल रहा है।

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