पीएम मोदी की सिख गुरुओं में आस्था
देश की आजादी के बाद देखा जाए तो नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिनकी सिख गुरुओं में पूर्ण आस्था है और वह मानते हैं कि सिख गुरुओं के बलिदान के कारण ही देश की अस्तित्वता कायम है अगर 1675ई में गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान देकर हिन्दु धर्म की रक्षा न की होती तो आज स्थिति कुछ और ही होनी थी। गुरु तेग बहादुर जी के बाद गुरु गोबिन्द सिंह जी ने मोर्चा संभाला और जुल्म के खिलाफ जंग लड़ते हुए अपने चारों पुत्रों को भी देश और धर्म की खातिर कुर्बान कर दिया। ऐसे महान गुरुओं की शहादत की कोई और मिसाल रहती दुनिया तक नहीं हो सकती।
इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले सिख धर्म के लोगों की परेशानियाें को एक-एक करके दूर करने के निरन्तर प्रयास किए। सिख गुरुओं और साहिबजादांे के बलिदान के इतिहास को देश के हर घर तक पहुंचाया। एक ओर वह लोग थे जिन्होंने अपने नाम से बाल दिवस मनाने की शुरूआत की थी और दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी जिन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह जी के उन वीर साहिबाजादों की शहादत को वीर बाल दिवस के रुप में मनाकर देशवासियों को एक संदेश दिया ताकि भारत का हर बच्चा उन्हंे अपना रोल माडल बना सके। दिल्ली से लेकर कन्याकुमारी तक साहिबजादों की शहादत की दास्तां बयान करते हुए बोर्ड लगाए गए। आज तक इतिहास में अत्याचारी मुगल शासकों का इतिहास स्कूलों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता रहा मगर अब उसके स्थान पर गुरुओं की शहादत का इतिहास बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने गुरु गोबिद सिंह जी के जन्म स्थान तख्त पटना साहिब जाकर माथा टेककर गुरु महाराज का आर्शीवाद प्राप्त किया, यहां तक कि मनमोहन सिंह सिख प्रधानमंत्री होते हुए भी यहां नहीं गए और नरेन्द्र मोदी दूसरी बार नतमस्तक होकर आए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद से देशभर से शायद ही ऐसा कोई भी राजनेता होगा जो पटना आगमन के बाद तख्त पटना साहिब नतमस्तक न हुआ हो। बुधवार को सुबह गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के द्वारा भी नतमस्तक होकर गुरु जी का आर्शीवाद प्राप्त किया गया।
दिल्ली में गुरु तेग बहादुर जी के स्थान गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब जहां उनके धड़ का संस्कार किया गया था वहां भी वह माथा टेक चुके हैं। गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के मौके पर लाल किला परिसर में होने वाले समागमों में आने के लिए वह स्वयं दिल्ली कमेटी से समय की जानकारी मांग रहे हैं।
सिख समुदाय देश के बंटवारे के बाद से निरन्तर अरदास में बिछुड़े गुरधामों के दर्शनों की अरदास करता आया इसी के चलते करतारपुर साहिब कोरीडोर खोला गया जिससे हजारों श्रद्धालुओं ने अभी तक उस पवित्र स्थान के दर्शन किए। गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व, गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व सरकारी स्तर पर मनाया गया।
पाकिस्तान द्वारा हिन्दुओं का अपमान : पाकिस्तान की सदैव यह कोशिश रहती है कि किसी भी प्रकार से भारत में हिन्दु सिख एकता में दरार डाली जाए जिसके लिए पाकि एजेन्सियों के द्वारा खालिस्तानियों की मदद ली जाती है। पाकिस्तान द्वारा एक ओर खुद को सिखों का हमदर्द साबित करने की कोशिश करता है तो दूसरी ओर खालिस्तानियों को समर्थन देकर उनसे ऐसी गतिविधियां करवाई जाती हैं जिससे संसारभर में सिखों की बदनामी होती है। हाल ही में गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाने हेतु ननकाणा साहिब के दर्शनों के लिए गए जत्थे में से लगभग 14 हिंदू श्रद्धालु, जिनमें दिल्ली के आठ और अन्य लखनऊ के थे, उन्हें बेईज्जत करके वापस भेजकर दिया गया। हिंदू श्रद्धालुओं के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें ननकाना साहिब जाने वाली बस में चढ़ने से ठीक पहले रोक लिया। उन्हें यह कहकर वापिस भेज दिया गया, “तुम हिंदू हो, तुम सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते”। इसके बाद उन्हें पैदल ही भारतीय सीमा की ओर लौटना पड़ा। भारतीय अधिकारियों ने इस घटना को “चौंकाने वाली और अभूतपूर्व भेदभावपूर्ण कार्रवाई” बताया है।
यह वह हिन्दु परिवार थे जो कि देश के बंटवारे के बाद से पाकिस्तान में ही रह रहे थे, मगर मुस्लिम कट्टरपंिथयों के डर से यह 1999 में भारत आ बसे और 2008 में भारत में इन्होंने भारतीय नागरिकता हासिल कर ली। भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते के तहत हर साल भारत से श्रद्धालुओं का जत्था ननकाणा साहिब गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व मनाने हेतु जाया करता है जिसमें कई हिन्दु परिवार भी रहते हैं, क्योंकि गुरु नानक देव जी के प्रति हिन्दु धर्म के लोगों में भी पूर्ण आस्था है और उनकी भी मंशा रहती है कि वह उस पवित्र धरती के दर्शन करें जहां गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ मगर पाकिस्तान से इस प्रकार हिन्दुओं को जत्थे में से अलग कर उन्हें बेइज्जत कर वापिस भेजकर न सिर्फ उन हिन्दु परिवारों की आस्था का अपमान किया है बल्कि यह समुचे देश का अपमान है और इससे ज्ञात होता है कि पाकिस्तान अपनी ओछी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है और वह भारतीयों में फूट डालने का कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहता।
हरजिन्दर सिंह धामी 5वीं बार अध्यक्ष चुने गए : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव में एक बार फिर से हरजिन्दर सिंह धामी अध्यक्ष चुन लिए गए। उनका अध्यक्ष बनना लगभग तय ही माना जा रहा था, क्योंकि अभी तक विपक्षी दल इतना मजबूत नहीं हो पाया कि वह शिरोमणि अकाली दल को टक्कर दे सके दूसरी ओर सुखबीर सिंह बादल को भी हरजिन्दर सिंह धामी से ज्यादा तर्जुबेदार, वफादार चेहरा पार्टी में कोई और नहीं मिल पाया जिस पर वह भरोसा रख पाते इसलिए हरजिन्दर सिंह धामी को पांचवीं बार अध्यक्ष बनने का मौका मिल गया। हरजिन्दर सिंह धामी के अध्यक्ष बनने से शिरोमणि कमेटी सदस्यों में भी प्रसन्नता देखी जा रही है। मुम्बई से शिरोमणी कमेटी सदस्य गुरिन्दर सिंह बावा जो कि चीफ खालसा दीवान महाराष्ट्र के अध्यक्ष भी हैं। उनका मानना है कि हरजिन्दर सिंह धामी जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा के बाद ऐसे एकमात्र प्रधान साबित हुए हैं जिनके कार्यकाल को सदैव याद रखा जाएगा, क्योंकि कौम में जब भी कोई मुश्किल की स्थिति आई तो स. हरजिन्दर सिंह धामी के द्वारा सभी को एकजुट कर मुश्किल दूर की है।

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