Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

PNB घोटाला : प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई भारतीय जेलों व नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य पर रही केंद्रित

भारत प्रत्यर्पित किये जाने के खिलाफ यहां कानूनी लड़ाई लड़ रहे नीरव मोदी के मामले की सुनवाई एक बार फिर बुधवार को भारत में जेलों की स्थिति और उसकी नाजुक मानसिक हालत पर केंद्रित रही।

02:23 AM Sep 10, 2020 IST | Shera Rajput

भारत प्रत्यर्पित किये जाने के खिलाफ यहां कानूनी लड़ाई लड़ रहे नीरव मोदी के मामले की सुनवाई एक बार फिर बुधवार को भारत में जेलों की स्थिति और उसकी नाजुक मानसिक हालत पर केंद्रित रही।

भारत प्रत्यर्पित किये जाने के खिलाफ यहां कानूनी लड़ाई लड़ रहे नीरव मोदी के मामले की सुनवाई एक बार फिर बुधवार को भारत में जेलों की स्थिति और उसकी नाजुक मानसिक हालत पर केंद्रित रही। 
Advertisement
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव (49) वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है। 
न्यायमूर्ति सैमुअल गूज की अध्यक्षता में पांच दिवसीय सुनवाई का तीसरा दिन बचाव पक्ष के लिए समर्पित था जिसने नीरव मोदी के खिलाफ धोखाधड़ी और धनशोधन के प्रथम दृष्टया मामले के खिलाफ दलीलें दी। नीरव मोदी ने वैंड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिए अदालत की कार्यवाही देखी। नीरव मोदी पिछले साल मार्च में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही इसी जेल में बंद है।
नीरव मोदी सुनवाई के दौरान अधिकांश समय बेजान नजर आ रहा था। इसे देखते हुए एक समय अदालत ने सुनवाई रोक कर जांच करने को कहा कि क्या वीडियो संपर्क टूट गया है। अदालत ने नीरव को समय-समय पर कुछ हावभाव दिखाने को कहा ताकि अदालत आश्वस्त हो सके कि वह कार्यवाही से जुड़ा हुआ है। 
वकील क्लेर मोंटगोमरी की अगुवाई में नीरव मोदी की कानूनी टीम ने एक बार फिर मुंबई की आर्थर रोड जेल में बैरक संख्या 12 की स्थितियों की चर्चा की और दावा किया कि वहां एक आतंकवादी को रखा गया था। इसलिए उसे पूरी तरह से ढक दिया गया था। इसके साथ ही बैरक में गर्मी के अलावा नमी, धूल, कीड़े मकौड़ों जैसी अन्य समस्याएं भी हैं। 
बुधवार की सुनवाई के दौरान नीरव मोदी के वकीलों ने यह दावा भी किया कि उनका मुवक्किल Òमीडिया ट्रायल’’ का विषय रहा है और भारत में उसकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी। 
इस मामले में कोई फैसला साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि अंतिम सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तारीख अस्थायी रूप से निर्धारित की गयी है। 
बचाव पक्ष ने भारतीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय थिप्से को निजी तौर पर वीडियो लिंक के जरिए अपना विशेषज्ञ बयान देने की अनुमति देने का अनुरोध किया था जिसे अदालत ने इसी सप्ताह के शुरू में ठुकरा दिया था। इसके बाद उनका लिखित बयान अदालत में प्रस्तुत किया गया ताकि भारत सरकार द्वारा पेश किए गए कुछ सबूतों की स्वीकार्यता के खिलाफ जोर दिया जा सके। 
थिप्से की गवाही सवाल उठाती है कि क्या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मुहैया कराए गए बयान भारतीय कानून के तहत Òवैधानिक आवश्यकताओंÓ को पूरा करते हैं। 
Advertisement
Next Article