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शादी का झूठा वादा कर 12 साल की नाबालिग से 23 साल के युवक ने कई बार बनाए यौन संबंध, कोर्ट ने आरोपी को POCSO के तहत सुनाई उम्रकैद की सजा

04:28 PM Dec 11, 2025 IST | Amit Kumar
POCSO Act Punishment (credit-sm)

POCSO Act Punishment: कलकत्ता हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट के तहत एक 23 वर्षीय युवक को उम्र कैद की सजा सुनाई है। युवक को ये सजा एक 12 साल की नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप में दी गई है। सजा के साथ युवक को 2 लाख रुपए जुर्माने की सजा को भी बरकरार रखा है।

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की बैंच ने अपने फैसले के समय यह साफ किया कि नाबालिग बच्ची यौन संबंधों के परिणामों को नहीं समझ सकती और वह वैध सहमति देने में असमर्थ होती है, चाहे वह प्यार या झूठे शादी के वादे पर भरोसा कर ले।

POCSO Act punishment: जाने क्या है पूरा मामला

यह पूरा मामला 2015-2017 के बीच का है। जब आरोपी ने नाबालिग के साथ कथित प्रेम-संबंध शुरू किया, तब वह 12 साल की थी। वहीं आरोपी की उम्र 23 साल थी। इस दौरान आरोपी ने कई बार शादी का झूठा वादा देकर नाबालिग के साथ बार-बार शारीरिक संबंध बनाए।

पीड़िता ने अदालत में बताया कि वह आरोपी से प्यार करती थी और शादी की उम्मीद में युवक के साथ यौन संबंध संबंध बनाती रही, लेकिन जैसे ही वह पप्रेग्नेंट हुई वैसे ही आरोपी ने बच्चे की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। तब 15 साल की उम्र में यानी 2017 में लड़की के परिवार ने POCSO के तहत युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

Minor Consent Law India: आरोपी के बचाव के तर्क

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी ने अपने बचाव में तीन मुख्य बातें कहीं, पहला, कथित यौन संबंध दो साल पहले हुआ, तो शिकायत दर्ज करने में इतनी देरी क्यों हुई? दूसरा, डीएनए रिपोर्ट में केवल इतना कहा गया है कि “जैविक पिता होने से इंकार नहीं किया जा सकता”, इसलिए रिपोर्ट अंतिम रूप से स्पष्ट नहीं है। तीसरा, पीड़िता की उम्र भी पुख्ता तरीके से साबित नहीं हुई।

POCSO Act Punishment (credit-sm)

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1. शिकायत में देरी पर अदालत की टिप्पणी

अदालत ने कहा कि बच्ची आरोपी से प्रेम करती थी और शादी की उम्मीद में चुप रही। जब गर्भ ठहरने के बाद आरोपी ने उसे छोड़ दिया, तभी शिकायत दर्ज की गई। कोर्ट ने माना कि नाबालिग बच्चियों को यौन संबंधों के परिणामों का अंदाज़ा नहीं होता, इसलिए देरी होना स्वाभाविक है।

2. सहमति का मुद्दा

पीठ ने दोहराया कि पीड़िता नाबालिग थी, इसलिए कानूनन उसकी सहमति का कोई महत्व नहीं है। वह आरोपी के शादी के वादे पर भरोसा करती रही, लेकिन यह कानूनी रूप से मान्य सहमति नहीं मानी जा सकती।

3. डीएनए रिपोर्ट पर कोर्ट का रुख

हाईकोर्ट ने कहा कि “इनकार नहीं किया जा सकता” का मतलब यह नहीं कि आरोपी निर्दोष है। यह रिपोर्ट पीड़िता के बयान को मजबूत करती है और साक्ष्य श्रृंखला को पूरा करती है।

4. पीड़िता की उम्र पर फैसला

जन्म प्रमाण-पत्र रिकॉर्ड में मौजूद था और बचाव पक्ष ने समय रहते उस पर कोई आपत्ति नहीं की। इसलिए पीड़िता के नाबालिग होने पर कोई शक की गुंजाइश नहीं है।

अपराध की श्रेणी और सजा

अदालत ने माना कि आरोपी का कृत्य POCSO की धारा 5(j)(ii) और 5(l) के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है, जिसकी सजा धारा 6 के अनुसार कम से कम 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है। सियालदह ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास और 2 लाख रुपये जुर्माना—दोनों को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा।

POCSO Act Punishment (credit-sm)

पीड़िता के लिए मुआवजा

खंडपीठ ने पीड़िता को तुरंत राहत देने के लिए अतिरिक्त निर्देश जारी किए:

अदालत का महत्वपूर्ण संदेश

अदालत ने स्पष्ट कहा कि नाबालिग की ‘सहमति’ को कानून कभी मान्यता नहीं देता, चाहे वह प्रेम या रोमांटिक रिश्ते के नाम पर ही क्यों न हो। नाबालिग की हां को कानूनी सहमति नहीं माना जा सकता।

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