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पीओके : सच का आइना (5)

05:47 AM Jun 17, 2024 IST | Rahul Kumar Rawat

पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांट दिया। जिनमें एक आजाद कश्मीर दूसरा गिलगित, बाल्टिस्तान और तीसरा चीन को उपहार में दिया गया एरिया जहां चीन ने सड़कें और रेलवे लाइन बना ली है। एक चौथाई हिस्सा चीन ने हड़प लिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान का जो खेल खेला गया, उसके पीछे चाइना की चाल है। चाइना इस क्षेत्र में एक कॉरिडोर बना चुका है जिसे वह ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा। इसे चाइना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) कहा जाता है। इससे सिर्फ चाइना को ही फायदा होगा। चाइना नहीं चाहता था कि वह एक विवादित क्षेत्र में यह सीपेक बनाए इसलिए पाकिस्तान ने उसे अपना 5वां प्रांत बनाकर चाइना को खुश किया। पाकिस्तान अब चाइना के कर्ज में डूब गया है। यहां पर जब भी लोग चीन की गतिविधियों का विरोध करते हैं तो पाकिस्तानी सेना उसे कुचल देती है। उन पर आतंकवादरोधी कानून लगाया जाता है। चाइना के प्रोजेक्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए इस इलाके में चीन के 24 हजार सैनिकों की भी तैनाती है। बाल्टिस्तान में सितंबर 2009 से पाकिस्तान के साथ एक समझौते के तहत चीन एक बड़ी ऊर्जा परियोजना लगा रहा है, कॉरिडोर बना रहा है और बड़े पैमाने पर यहां के प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग कर रहा है।

चीन भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर और चीन के बीच किसी भी सीमा को नहीं पहचानता है चाहे वह जॉनसन लाइन हो या मैकार्टनी-मैकडोनाल्ड लाइन लेकिन भारत 1947 के रूप में जम्मू-कश्मीर के सीमा को मान्यता देता है। चीन ने 1950 के दशक में भारत से जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। 1950 के दशक में पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह अयूब खान ने नेहरू से चीन के खिलाफ एक संयुक्त रक्षा तंत्र बनाने को कहा लेकिन उन्हें पूरा कश्मीर चाहिए था और भारत ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था लेकिन जब चीन ने 1962 के युद्ध में भारत को हरा दिया, तो पाकिस्तान समझ गया कि अगर पूरा कश्मीर उसे मिल भी जाए तो भी वह चीन द्वारा किए गए क्षेत्र पर फिर से कब्जा नहीं कर सकता है और दुश्मन का दुश्मन दोस्त है। इसलिए उन्होंने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें दोनों पक्षों ने क्षेत्र का हवाला दिया। पाक को आधिकारिक रूप से शायद कुछ क्षेत्र मिले थे और चीन ने 5,180 वर्ग किलोमीटर हड़पने के बाद पाक अधिकृत कश्मीर पर अपना दावा छोड़ दिया था लेकिन औपचारिक रूप से पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अच्छे खासे ​हिस्से को चीनी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी। किसी भी तरह पाकिस्तान ने उस क्षेत्र पर नियंत्रण नहीं किया और संधि के साथ ही पीओके में चीनी हस्तक्षेप को रोक दिया लेकिन ऐसा करके, पाकिस्तान ने तकनीकी और नैतिक आधार पर कश्मीर पर अधिकार खो ​दिया।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है लेकिन उसने अपना हिस्सा चीन को सौंप दिया है। चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव लगातार बढ़ाता जा रहा है और चीनी नागरिकों की मौजूदगी को वहां के लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं। चीन यहां के संसाधनों पर अपना प्रभुत्व जमाने लगा है, जबकि यहां के लोग बेरोजगार हैं। उन्हें रोजी-रोटी के लिए पाकिस्तान के अन्य इलाकों में जाना पड़ता है। इस समय कंगाल पाकिस्तान के लोगों में आक्रोश फैला हुआ है। भाषा और तौर-तरीकों के आधार पर लोग खुद का अलग राष्ट्र बनाना चाहते हैं। पाकिस्तान में कहां-कहां आग सुलग रही है। इसकी चर्चा मैं कल के लेख में करूंगा। (क्रमशः)

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