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गुजरात HC के आदेश पर नरोदा दंगे मामले की सुनवाई कर रहे जज का स्थानांतरण

न्यायाधीश दवे का स्थान एस के बक्शी लेंगे जो यहां स्थानांतरित किये जाने से पहले भावनगर के प्रधान जिला न्यायाधीश के तौर पर कार्य कर रहे थे।

11:45 AM Mar 08, 2020 IST | Desk Team

न्यायाधीश दवे का स्थान एस के बक्शी लेंगे जो यहां स्थानांतरित किये जाने से पहले भावनगर के प्रधान जिला न्यायाधीश के तौर पर कार्य कर रहे थे।

गुजरात hc के आदेश पर नरोदा दंगे मामले की सुनवाई कर रहे जज का स्थानांतरण
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गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर नरोदा गाम में वर्ष 2002 में हुए दंगो की सुनवायी कर रहे एक विशेष एसआईटी न्यायाधीश का वलसाड के प्रधान जिला न्यायाधीश के तौर पर स्थानांतरण कर दिया गया है। गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें अहमदाबाद शहर के सिविल अदालत के प्रधान न्यायाधीश एम के दवे को वलसाड जिले के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर स्थानांतरित किये जाने की सुचना दी गई थी।
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न्यायाधीश दवे का स्थान एस के बक्शी लेंगे जो यहां स्थानांतरित किये जाने से पहले भावनगर के प्रधान जिला न्यायाधीश के तौर पर कार्य कर रहे थे। बता दें की  न्यायाधीश दवे नरोदा गाम दंगा मामले में अंतिम दलीलें सुन रहे थे। गौरतलब हैं नरोदा गाम दंगा मामले में पूर्व भाजपा मंत्री माया कोडनानी एक आरोपी हैं। और कोडनानी के वकील ने पिछले सप्ताह मामले में अपनी दलीलें शुरू की थीं।
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 अभियोजन के साथ ही कई आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे बचाव पक्ष की दलीलें पहले ही पूरी हो चुकी हैं। न्यायाधीश दवे के स्थानांतरण के बाद इसकी संभावना है कि नये न्यायाधीश को अंतिम दलीलें नये सिरे से सुननी पड़ें। अदालत ने मामले में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू की थी। इससे पहले मामले की सुनवायी करने वाले न्यायाधीशों में शामिल रहे पूर्व प्रधान सत्र न्यायाधीश पी बी देसाई दिसम्बर 2017 में सेवानिवृत्त हो गए थे।
दवे उन 18 प्रधान जिला न्यायाधीशों में से एक हैं जिनका स्थानांतरण गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने किया है। मुख्य न्यायाधीश ने 17 डिविजन के सत्र न्यायाधीश भी नियुक्त किये हैं। नरोदा गाम नरसंहार उन नौ प्रमुख दंगा मामलों में से एक है जिनकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी।
 2002 के दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 सदस्य मारे गए थे। मामले में कुल 82 लोग सुनवायी का सामना कर रहे हैं। कोडनानी इस मामले के आरोपियों में शामिल हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं।
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