भाजपा सांसद ने Emergency का उल्लेख पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की मांग राज्यसभा में उठाई
राज्यसभा में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने आपातकाल(Emergency ) के दौरान लोकतंत्र की बहाली के लिए हुए प्रयासों की तुलना स्वतंत्रता संग्राम में हुए संघर्ष से करते हुए इस कालखंड के इतिहास को स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की मांग उठाई।
Emergency का उल्लेख पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग
राज्यसभा में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने आपातकाल(Emergency) के दौरान लोकतंत्र की बहाली के लिए हुए प्रयासों की तुलना स्वतंत्रता संग्राम में हुए संघर्ष से करते हुए इस कालखंड के इतिहास को स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की मांग उठाई। बता दें कि उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा के नरेश बंसल ने कहा कि आपातकाल को अगर सही तरीके से पाठ्य पुस्तकों में स्थान दिया जाए तो देश में लोकतांत्रिक शक्तियों का विकास होगा और प्रजातंत्र की जड़ें भी मजबूत होंगी।
भाजपा सांसद ने क्या कहा?
आपातकाल(Emergency) को भारत के लोकतंत्र का ‘काला अध्याय’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसे कभी बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि उस समय के ‘रक्षक ही भक्षक’ बन गए थे।उन्होंने कहा, ‘‘देश में 1975 में आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों और इस दमन का विरोध करने वालों की ओर से की गई लड़ाई को समझाने वाला एक अध्याय स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।’’बंसल ने कहा कि सभी छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों में एक पाठ होना चाहिए कि आपातकाल क्या था, इसे कैसे और क्यों लगाया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों को आपातकाल के बारे में जानना चाहिए। उन बलिदानियों के संघर्ष को वर्तमान और भावी पीढ़ी जान सके, इसलिए आपातकाल की संपूर्ण कथा बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए।’’उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल को अगर सही तरीके से पाठ्य पुस्तकों में स्थान दिया जाए तो लोकतांत्रिक शक्तियों का विकास होगा और प्रजातंत्र की जड़ें मजबूत होंगी।’’
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