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बिहार और यूपी में बढ़ी सियासी हलचल, अचानक लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे अखिलेश यादव

बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ गई है। क्योंकि अचानक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव दिल्ली पहुंच गए और वहां जाकर उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकत की।

01:43 PM Nov 04, 2022 IST | Desk Team

बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ गई है। क्योंकि अचानक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव दिल्ली पहुंच गए और वहां जाकर उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकत की।

बिहार और यूपी में बढ़ी सियासी हलचल  अचानक लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे अखिलेश यादव
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बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ गई है। क्योंकि अचानक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव दिल्ली पहुंच गए और वहां जाकर उन्होंने राजद  सुप्रीमो लालू यादव  से मुलाकत की। अभी तक ये बात साफ नहीं हो पाई है कि अखिलेश और लालू  के बीच ये मुलाकात क्यों हुई है।
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लालू से मिले अखिलेश यादव 
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बता दें, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश पहली बार दिल्ली गए थे। जहां उन्होंने लालू से मुलाकात की है। दोनों के बीच 4 घंटे तक बंद कमरे में मुलाकात हुई है, जिस वजह से लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे है। वैसे कहा जा रहा कि लालू पिछले दिनों इलाज के लिए सिंगापुर गए थे। इसलिए अखिलेश ने उनसे मुलाकात की है। ताकि उनका हाल जान सके।
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अखिलेश के सामने कई चुनौतियां 
वही, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद धीरे-धीरे सभी जिम्मेदारियां उनके बड़े बेटे अखिलेश यादव के कंधे पर आने लगी है। अखिलेश यादव को सपा की कमान पूरी तरह से संभालनी है। उनके सामने कई चुनौतियां है, जिसे उन्हें पार करना है। लेकिन, पार्टी को संभालना सबसे अहम चुनौतियों में से एक है।
एम-वाई समीकरण को साथ लेकर चलना मुश्किल 
 अखिलेश यादव के सामने एम-वाई समीकरण को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी है। क्योंकि उनके इस वोट बैंक में बसपा से लेकर  AIMIM और कांग्रेस सेंध मार चुकी है। मुलायम सिंह यादव जब तक जीवित थे, तब तक उन्होंने अपनी छवि मुसलमानों के बीच सबसे बड़े नेता की बनाए रखी थी। यूपी की राजनीति में कई मुस्लिम नेता सांसद और विधायक हैं लेकिन मुसलमानों के बीच मुलायम सिंह को लेकर जो विश्वास था वो किसी भी नेता को आज तक हासिल नहीं हो पाया है। जिस वजह से अब अखिलेश के सामने ये चुनौती है की वो अपने इस वोट बैंक को बचा के रखे। नहीं तो भविष्य के चुनावों में उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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