बकरीद से पहले नूंह में गोकशी को लेकर सियासी घमासान
बकरीद पर नूंह में गोकशी विवाद से बढ़ी राजनीतिक हलचल
हरियाणा के नूंह में बकरीद से पहले गोकशी को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह पिंटू ने कांग्रेस विधायकों पर गौ हत्यारों को समर्थन देने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने इसे भाजपा की विफलताओं को छिपाने की कोशिश बताया।
हरियाणा के नूंह जिले में 7 जून को मनाई जाने वाली बकरीद से पहले गोकशी (गौ हत्या) को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह पिंटू और कांग्रेस विधायक आफताब अहमद के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस के तीनों विधायकों पर गौ हत्यारों को संरक्षण देने और 31 जुलाई की नूंह हिंसा का दोषी ठहराया है। वे मंगलवार को हिंदू संगठनों और गौरक्षा दल के सदस्यों के साथ गोकशी पर रोक लगाने की मांग को लेकर डीसी विश्राम कुमार मीणा को ज्ञापन देने पहुंचे थे। वहीं कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद और भाजपा की विफलताओं को छिपाने की कोशिश बताया। गौरक्षा दल के सदस्यों ने भी कांग्रेस विधायकों को निशाने पर लिया और सख्त कार्रवाई की मांग की। मेवात में त्योहारों के दौरान गोकशी का मुद्दा एक बार फिर धार्मिक और राजनीतिक रंग लेता दिखाई दे रहा है।
जब तक गौ हत्या बंद नहीं होगी, भाईचारा संभव नहीं
भाजपा के नूंह जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह पिंटू ने कांग्रेस विधायकों पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि वे गोकशी को समर्थन देते हैं और 31 जुलाई की हिंसा में भी उनकी भूमिका रही थी। उन्होंने कहा, “मंच पर भाईचारे की बात करने से कुछ नहीं होता, उसे निभाना पड़ता है। जब तक गौ हत्या बंद नहीं होगी, तब तक किसी भाईचारे की बात ही नहीं हो सकती।” उन्होंने कहा कि नूंह के कांग्रेस विधायक सिर्फ दिखावे के लिए शांति की बात करते हैं, जबकि असल में वे ऐसे तत्वों को संरक्षण दे रहे हैं जो सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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गौरक्षकों का आरोप
हरियाणा गौरक्षा दल के सदस्य आचार्य योगेंद्र आर्य और आचार्य आजाद आर्य ने आरोप लगाया कि मेवात में बकरीद के मौके पर बड़े पैमाने पर गोकशी होती है और इसे हिंदू संगठन अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने खासकर कांग्रेस विधायक मामन खान पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा में गौरक्षकों को ‘गुंडा’ कहा था। गौरक्षकों ने यह भी मांग रखी कि जिस गांव में गोकशी होती है, वहां के सरपंच की विकास ग्रांट बंद की जाए, क्योंकि सरपंचों को गांव में होने वाली हर गतिविधि की जानकारी होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे सरपंचों पर भी गोकशी का मामला दर्ज होना चाहिए।