Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

प्रशांत किशोरः 9वीं पास को राजा बनाना चाहते हैं लालू, बिहार में PK की अग्नि परिक्षा

प्रशांत किशोर की रणनीति से बिहार में नया राजनीतिक मोड़

04:33 AM Jun 05, 2025 IST | Aishwarya Raj

प्रशांत किशोर की रणनीति से बिहार में नया राजनीतिक मोड़

पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक सभा के दौरान राजद और लालू परिवार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि लालू अपने 9वीं पास बेटे को बिहार का राजा बनाना चाहते हैं। प्रशांत पिछले 3 सालों से गांव-गांव घूम रहे हैं। बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 साल से सत्ता के केंद्र में रहे हैं, पर अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक सभा के दौरान राजद और लालू परिवार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि लालू अपने 9वीं पास बेटे को बिहार का राजा बनाना चाहते हैं। यहां शायद प्रशांत बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बात कर रहे थे।

चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी है कि जल्द ही बिहार चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है। इस बार के बिहार चुनाव इसलिए भी खास हैं क्योंकि पूर्व चुनावी रणनीतिकार और पूर्व जदयू नेता प्रशांत किशोर ने अपनी नई बनी पार्टी जन सुराज को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है।

प्रशांत पिछले 3 सालों से गांव-गांव घूम रहे हैं। बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 साल से सत्ता के केंद्र में रहे हैं, पर अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। भाजपा विधायकों की संख्या बल के आधार पर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी जरूर है, लेकिन दशकों तक सरकार का हिस्सा रहने के बावजूद अपने दम पर बहुमत न ला पाना उसकी एक बड़ी विफलता रही है। बिहार की राजनीति लगभग पिछले 35 साल से दो ध्रुवों में बंटी रही है। प्रशांत किशोर गांव-गांव घूमकर एक नई और तीसरी राजनीतिक धारा के लिए ज़मीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी पार्टी की निःसंदेह बिहार समेत पूरे देश में चर्चा है, लेकिन क्या यह चर्चाएं परिणाम में बदलेंगी या नहीं, इस पर अभी संशय है।

Advertisement

पुराने मठाधीश कितने मजबूत?

प्रशांत की पार्टी और कार्यकर्ता बिहार के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं। इतने कम समय में पूरे राज्य में फैला संगठन खड़ा करना अपने आप में एक बड़ी सफलता है। लेकिन सिर्फ राज्यव्यापी संगठन बना लेना चुनावों में अच्छे प्रदर्शन की गारंटी नहीं हो सकता। बिहार की जनता नए विकल्पों की तलाश में जरूर है, लेकिन पुराने मठाधीश अब भी मजबूत हैं। भाजपा के पास सबसे मजबूत संगठन, नरेंद्र मोदी जैसा लोकप्रिय चेहरा, और लगभग सभी सामाजिक समूहों के नेता मौजूद हैं। वहीं जदयू के कमजोर होने के बाद भी पार्टी अब भी अति-पिछड़ों और महादलितों के बीच प्रासंगिक है, और उसका ‘लव-कुश’ समीकरण बीते सभी चुनावों में असरदार रहा है। विपक्षी राजद के पास अपने पारंपरिक जातीय वोट बैंक के साथ अल्पसंख्यकों का भी समर्थन है। अन्य छोटे दलों के पास भी नेता मौजूद हैं—जैसे चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा। ऐसे में जन सुराज के लिए सेंधमारी आसान नहीं है।

उपचुनावों में चूकी जन सुराज

बीते साल बिहार की 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में जन सुराज का प्रदर्शन औसत रहा। इमामगंज में उसे 37,000 से ज़्यादा वोट मिले, जबकि बेलागंज में लगभग 18,000। बाकी दो सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा।

‘नीतीश कुमार को गंभीर बीमारी..’, प्रशांत किशोर ने दी खुली चुनौती

सत्ता अभी कितनी दूर?

प्रशांत किशोर ने जन सुराज के लिए बिहार में राजनीतिक ज़मीन तो तैयार कर ली है, लेकिन वह ज़मीन कितनी उपजाऊ है, इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता।

उनकी पार्टी से टिकट मांगने वालों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें महागठबंधन या एनडीए से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है। लेकिन अगर प्रशांत किशोर इसी तरह ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रहते हैं, तो भविष्य में उन्हें बड़ी राजनीतिक सफलता मिल सकती है।

Advertisement
Next Article