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Prayagraj Magh Mela: प्रयागराज में होने वाले माघ मेले का आधिकारिक लोगो जारी, जानें खासियत और महत्व

02:50 AM Dec 12, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat
Prayagraj Magh Mela

Prayagraj Magh Mela: साल 2026 में प्रयागराज में माघ मेले का आयोजन होने जा रहा है। सरकार इसको लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार तैयारियों का जायजा ले रहे हैं और बैठकें कर रहे हैं। अब 2026 में होने वाले माघ मेले का लोगो जारी कर दिया गया है। इसको लेकर उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि माघ मेला एक विशाल आध्यात्मिक और धार्मिक मेला है। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु और भक्त मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य की प्राप्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि माघ मेला के प्रतीक चिन्ह में तप, अनुष्ठान और कल्पवास के दर्शन की झलक दिखाई गई है।

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Prayagraj Magh Mela: माघ मेले की तैयारियां तेज

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर माघ मेला का लोगो साझा करते हुए भूपेंद्र चौधरी ने लिखा कि गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर हर वर्ष लगने वाला माघ मेला एक विशाल आध्यात्मिक और धार्मिक पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु मां गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि माघ मेला के प्रतीक चिन्ह में तप, अनुष्ठान और कल्पवास के दर्शन की झलक दर्शाई गई है। मां गंगा की कृपा से यह पावन माघ मेला सभी के जीवन को सुख, समृद्धि और आरोग्यता के अमृत से अभिसिंचित करे, चराचर जगत का कल्याण हो, मेरी यही प्रार्थना है।

Prayagraj Magh Mela

Prayagraj Magh Mela: माघ मेला का Logo जारी

लोगो को लेकर प्रयागराज के जिलाधिकारी ने बताया कि माघ मेले के इतिहास में पहली बार मेले के दर्शन-तत्व को परिलक्षित करते हुए सीएम योगी के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। इस लोगो में तीर्थराज प्रयाग, संगम की तपोभूमि तथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्ता को समग्र रूप से दर्शाया गया है। लोगो में सूर्य और चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति, ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की स्थितियों को प्रतिबिंबित करती है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा 27 नक्षत्रों की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनों में पूर्ण करता है।

Prayagraj Magh Mela

संगम स्नान, आध्यात्मिक ऊर्जा और परंपरा का चित्रण

माघ मेला इन्हीं नक्षत्रीय गतियों की सूक्ष्म गणना पर आधारित है। जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा–पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के समीप होता है, तब माघ मास बनता है और उसी काल में माघ मेला आयोजित होता है। चंद्रमा की 14 कलाओं का संबंध मानव जीवन, मनोवैज्ञानिक ऊर्जा और आध्यात्मिक साधना से माना जाता है। माघ मेला चंद्र-ऊर्जा की इन कलाओं के सक्रिय होने का विशेष काल भी है। प्रयागराज का अविनाशी अक्षयवट, जिसकी जड़ों में भगवान ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का वास माना जाता है, उसके दर्शन मात्र से मोक्ष मार्ग सरल हो जाता है। इसी कारण कल्पवासियों के लिए उसका स्थान अत्यंत विशेष है।

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Prayagraj Magh Mela: जानें माघ मेला का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है। अतः लोगो में महात्मा का चित्र इस देवभूमि की सनातनी परंपरा को दर्शाता है, जहां ऋषि-मुनि सदियों से आध्यात्मिक ऊर्जा की साधना के लिए आते रहे हैं। माघ मास में किए गए पूजन और कल्पवास का पूर्ण फल संगम स्नान के बाद श्री लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन से प्राप्त होता है। इसलिए लोगो पर उनका मंदिर और पताका की उपस्थिति माघ मेले के तप और साधना की पूर्णता को दर्शाती है। संगम पर साइबेरियन पक्षियों की उपस्थिति यहां के पर्यावरण की विशेषता को दर्शाती है।

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