Prem Sagar Death News: कौन थे प्रेम सागर? जिन्होंने 84 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, यहां हुआ अंतिम संस्कार
Prem Sagar Death News: भारतीय फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़ी दुखद खबर सामने आई है। महान फिल्मकार रामानंद सागर के बेटे और निर्माता शिव सागर के पिता प्रेम सागर का आज सुबह 10 बजे निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हाल ही में डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें घर लाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
Prem Sagar Death News:अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट पर
प्रेम सागर जी का अंतिम संस्कार आज दोपहर 3 बजे मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट, जुहू में किया गया। उनकी अंतिम यात्रा दोपहर 2:30 बजे शुरू हुई थी। सागर वर्ल्ड की ओर से इंस्टाग्राम पर यह खबर साझा की गई, जिसमें लिखा था: "बहुत ही दुख के साथ सूचित किया जाता है कि श्री प्रेम सागर जी अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी आत्मा को शांति मिले। ओम शांति।"
सागर परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया
प्रेम सागर सिर्फ एक निर्माता ही नहीं, बल्कि एक कुशल सिनेमैटोग्राफर भी थे। उन्होंने अपने पिता द्वारा स्थापित प्रोडक्शन हाउस सागर आर्ट्स के अंतर्गत कई सफल प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया। उनके काम ने भारतीय टेलीविजन और सिनेमा में सागर परिवार की प्रतिष्ठा को बरकरार रखा।
Prem Sagar Death: फिल्म संस्थान से ली थी शिक्षा
प्रेम सागर ने पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से पढ़ाई की थी। वे 1968 बैच के छात्र थे, जहां उन्होंने फोटोग्राफी और सिनेमैटोग्राफी की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने तकनीकी और रचनात्मक दोनों क्षेत्रों में शानदार योगदान दिया।
‘रामायण’ में पिता के साथ निभाई अहम भूमिका
रामानंद सागर द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ में भी प्रेम सागर का योगदान था। उन्होंने इस ऐतिहासिक धारावाहिक में फोटोग्राफर और सिनेमैटोग्राफर के रूप में काम किया। ‘रामायण’ 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था और भारतीय टेलीविजन का एक मील का पत्थर बन गया।
इन प्रोजेक्ट्स में भी किया काम
प्रेम सागर ने न केवल रामायण में काम किया, बल्कि उन्होंने कई और प्रसिद्ध शोज और फिल्मों में भी योगदान दिया। उन्होंने ‘विक्रम और बेताल’ का निर्देशन और निर्माण किया, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके अलावा उन्होंने ‘अलिफ लैला’, ‘काकभुशुंडी’, ‘कामधेनु गौमाता’, ‘हम तेरे आशिक’, ‘बसेरा’ जैसे शोज और फिल्मों को भी प्रोड्यूस किया।वह 1968 की फिल्म ‘आंखें’ में इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट से जुड़े थे, और 1976 की फिल्म ‘चरस’ में बतौर सिनेमैटोग्राफर काम किया।
भारतीय मनोरंजन जगत को दी अमूल्य विरासत
प्रेम सागर ने अपने लंबे करियर में भारतीय सिनेमा और टेलीविजन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका जाना इंडस्ट्री के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।