"केवल श्रीजी की गुलामी करना..." Premanand Ji Maharaj ने अपने भक्तों के लिए बताया है ये 'जीवन सूत्र'
11:46 AM Oct 12, 2025 IST | Khushi Srivastava
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Premanand Ji Maharaj: इन दिनों वृंदावन के पूज्य संत प्रेमानंद महाराज की तबीयत नासाज चल रही है। स्वास्थ्य कारणों से अनिश्चितकाल के लिए उनकी पदयात्रा को भी रोक दिया गया है। हर दिन देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए काली कुंज आश्रम आते हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराज ने स्वयं बताया है कि उन्हें थोड़ी कमजोरी और घबराहट महसूस होती है, लेकिन ईश्वर की कृपा से वह ठीक हैं। उन्होंने अपने भक्तों को चिंता न करने के लिए कहा है, साथ ही उन्होंने भक्तों को आश्वासन दिलाया कि वे जल्द ही उनसे मुलाकात करेंगे।
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महाराज पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Polycystic Kidney Disease) से पीड़ित हैं, जो साल 2006 में सामने आया था। शुरू में पेट दर्द की शिकायत थी, लेकिन बाद में पता चला कि दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। पहले सप्ताह में पांच दिन डायलिसिस होती थी, लेकिन अब रोजाना डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। यह प्रक्रिया हर दिन उनके घर पर ही डॉक्टरों की निगरानी में होती है।
Premanand Ji Maharaj Health Updates: देश-विदेश के भक्तों से मिल रहा समर्थन

प्रेमानंद महाराज की तबीयत को देखते हुए देश-विदेश से कई लोग महाराज की सेवा के लिए वृंदावन पहुंचे हैं। ऑस्ट्रेलिया के एक हृदय रोग विशेषज्ञ और उनकी पत्नी भी सेवा में लगे हैं। कई श्रद्धालुओं ने तो किडनी दान करने की पेशकश की है।
वृंदावन में प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी में रहते हैं। उनके दो फ्लैट हैं – एक निवास और दूसरा चिकित्सा के लिए। डायलिसिस के लिए छह डॉक्टरों की टीम हर दिन आती है। हर सत्र 4 से 5 घंटे चलता है।
Premanand Ji Maharaj Pravachan: "'मैं अगर कल मर जाऊं तो..." महाराज का वायरल प्रवचन
स्वास्थ्य को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच, संत प्रेमानंद महाराज का एक प्रेरणादायक संदेश सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसे उनके अनुयायी 'जीवन का मर्म' मान रहे हैं। इस वीडियो में महाराज अपने भक्तों को यह सिखा रहे हैं कि यदि वे कल को अपनी अंतिम दिन मानकर चलें, तो वे वास्तव में अमरत्व की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
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महाराज का संदेश है कि: 'मैं अगर कल मर जाऊं तो तुम आजीवन हमारी वाणी के अनुसार चलना, धर्मपूर्वक चलना। कभी धर्म से विरुद्ध मत चलना। कभी किसी वैभव के गुलाम मत बनना, किसी के भी गुलाम मत बनना केवल श्रीजी की गुलामी करना।'
इस संदेश में महाराज ने मृत्यु को सहजता से अपनाने, सांसारिक बंधनों से मुक्त होने और एकमात्र धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा दी है। यह उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण 'जीवन सूत्र' के समान है। उनका यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि शारीरिक पीड़ा होने के बावजूद भी उनका मन पूरी तरह भक्ति और राधारानी की कृपा में लीन है।
कौन हैं Premanand Ji Maharaj?

संत प्रेमानंद महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के आकरी गांव में अनिरुद्ध कुमार पांडे नाम से हुआ था। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया। काशी में उन्होंने गुरु गौरी शरण जी महाराज के सान्निध्य में लगभग 15 महीने तक तपस्या की। स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद वे वृंदावन पहुंचे और पूरी तरह राधा नाम के संकीर्तन में डूब गए। अपनी दोनों अस्वस्थ किडनियों को भी वे श्रद्धा से ‘कृष्णा’ और ‘राधा’ कहकर संबोधित करते हैं।
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