Premanand Ji Maharaj Tips: कई लोग अपने घर में ठाकुरजी की छोटी सी प्रतिमा रखते हैं और उनकी बच्चों जैसे देख-रेख करते हैं। अगर आपके घर में भी लड्डू गोपाल हैं तो यह जानना जरुरी है कि उनकी सेवा करने के कुछ नियम हैं जिनका पालन करना जरुरी होता है। कई लोगों को ठाकुर जी का भोग लगाने से जुड़ी कुछ कंफ्यूजन होती है। इसी पर प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी बात रखी है।
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Premanand Ji Maharaj (Photo: Social Media)
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प्रेमानंद जी का मानना है कि ठाकुरजी को भोग लगाना महज एक परंपरा नहीं, अपितु उनके लिए आपकी श्रद्धा और भक्ति का सबसे पवित्र तरीका है। जब कोई मनुष्य सच्ची भावना से ठाकुरजी को भोग लगाता है, तो वह अपने अंदर के अहम, स्वार्थ और अभिमान को त्यागकर खुद को प्रभु के चरणों में समर्पित कर देता है।
मन की शांति है सबसे जरुरी
प्रेमानंंद महाराज कहते हैं कि, “जिसके मन में अशुद्धि या जल्दबाजी है, उसकी भक्ति पूरी नहीं होती।” ठाकुरजी को भोग लगाने समय अपने मन को शांत और पवित्र रखें। मन में किसी भी प्रकार के विकार न रखें। इसलिए ठाकुर जी को भोग लगाने से पहले थोड़ा नाम जप करें। हमेशा साफ कपड़ों में ही भोग लगाएं।
How to Offer Prasad to Thakurji: भोग कैसे लगाएं?
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प्रेमानंद जी महाराज जी के अनुसार, “भक्ति मन से की जाए तो ईश्वर हर रूप में उसे स्वीकार करते हैं।” ठाकुरजी के सामने भोग की थाली रखें। इसके बाद थोड़ी देर शांत मन से बैठें और प्रभु का नाम जपें। मन में सोचें कि भगवान स्वयं आकर भोजन ग्रहण कर रहे हैं। अगर आपके घर में मूर्ति या तस्वीर नहीं है, तो भी अपने मन में प्रभु का ध्यान करें और हाथ जोड़ें, फिर भोग लगाएं।
Premanand Ji Maharaj Teachings: सात्त्विक भोजन का भोग ही लगाएं
Premanand Ji Maharaj Tips (Photo: AI Generated)
भगवान को लगने वाला भोग हमेशा सात्विक ही होना चाहिए। यानी उस भोजन में लहसुन, प्याज या नॉन वेज का उपयोग नहीं होना चाहिए। भोग में आप पंजीरी, फल, मिठाई, खीर और हलवा चढ़ा सकते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि, “जिस भोजन में पवित्रता और सच्ची भावना हो, प्रभु को वही भोजन प्रिय लगता है।"
प्रेमानंद जी के अनुसार भोग का अर्थ केवल भोजन देना नहीं, किंतु ईश्वर के प्रति अपना प्रेम और समर्पण व्यक्त करना है। भोग लगाते समय अपनी आँखें बंद करके ईश्वर का स्मरण करें और मन में कहें “हे प्रभु, यह आपका ही दिया हुआ है, इसे आपको ही अर्पित करता हूँ।” भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद मानकर ग्रहण करें।
Premanand Ji Maharaj Tips: भोग लगाते समय इस मंत्र का करें जाप
Premanand Ji Maharaj Tips (Photo: Social Media)
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप कर सकते हैं- “त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।” इस मंत्र का अर्थ है: “हे गोविंद, यह आपकी ही वस्तु है, आपको ही समर्पित करता हूं।”
Premanand Ji Maharaj Love Tips: प्रेमानंद जी महाराज वो संत हैं, जो लोगों को प्रेम, भक्ति और सच्चे जीवन के मार्ग बताते हैं। प्रेम के प्रति भी प्रेमानंद जी के विचार काफी स्पष्ट और सरल हैं। उनका मानना है कि सच्चा प्यार केवल शरीर से नहीं, बल्कि आत्मा से होता है। आगे पढे़ं...