राष्ट्रपति ने वक्फ संशोधन विधेयक पर लगाई मुहर, विपक्ष ने जताई नाराज़गी
राष्ट्रपति ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2025 को मंजूरी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया। सरकार ने इसे ऐतिहासिक सुधार बताया, जबकि विपक्ष ने इसे मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक करार दिया।
संसद के दोनों सदनों से बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई। इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है।
राष्ट्रपति ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को दी मंजूरी
बता दे कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2025 को अपनी मंजूरी दे दी। इन दोनों विधेयकों को हाल ही में संसद ने पारित किया था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये दोनों विधेयक अब कानून बन गए हैं।
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘‘पांच अप्रैल, 2025 को संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई है और इसे आम जनता की जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है।’’
राज्यसभा में 128 सदस्यों और लोकसभा में 288 सदस्यों ने किया समर्थन
इस विधेयक को लेकर संसद में लंबी और गहन चर्चा हुई। शुक्रवार तड़के 13 घंटे से अधिक चली बहस के बाद राज्यसभा ने इसे 95 के मुकाबले 128 मतों से पारित कर दिया। इससे पहले लोकसभा में यह विधेयक 288 सदस्यों के समर्थन और 232 के विरोध के साथ पारित हुआ था।
विपक्ष ने विधेयक को बताया ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’
सरकार ने इस संशोधन विधेयक को ‘ऐतिहासिक सुधार’ बताते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और देश के गरीब, पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं को लाभ पहुंचेगा। वहीं, विपक्ष ने विधेयक को ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’ बताया।
विधेयक संविधान के मौलिक प्रावधानों का उल्लंघन – ओवैसी
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान के मौलिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस कानून का व्यवहार में क्या प्रभाव पड़ता है और न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाता है।