राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल, जानें क्या है पूरा मामला?
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से किए 14 सवाल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराज़गी जताते हुए संविधान के अनुच्छेद 143 (1) के तहत 14 संवैधानिक सवाल पूछे हैं। उनका मानना है कि यह फैसला संविधान की मर्यादाओं का उल्लंघन करता है और न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल है।
President Droupadi Murmu: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 8 अप्रैल को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया कि अगर कोई विधेयक राज्यपाल के पास लंबे समय तक लंबित रहता है, तो उसे स्वीकृत मान लिया जाएगा. इस फैसले पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नाराज़गी जताई है और इसे संविधान की मर्यादाओं का उल्लंघन बताया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर लंबे समय तक जारी रहा है. वहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे को खूब उठाया था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से 14 अहम संवैधानिक सवालों पर अपनी राय मांगी है. राष्ट्रपति का मानना है कि यह फैसला न केवल संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है, बल्कि यह न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल भी है.
राष्ट्रपति द्वारा पूछे गए 14 सवाल:
1-अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कौन-कौन से संवैधानिक विकल्प होते हैं, जब कोई विधेयक उन्हें भेजा जाता है?
2-क्या राज्यपाल को अनुच्छेद 200 के अंतर्गत कार्य करते समय मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करना आवश्यक है?
3-राज्यपाल द्वारा विवेक का उपयोग करना क्या उचित है?
4-क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के कार्यों की न्यायिक समीक्षा को पूरी तरह रोकता है?
5-अगर संविधान में समयसीमा तय नहीं है, तो क्या न्यायालय राज्यपाल के लिए समयसीमा और कार्यप्रणाली निर्धारित कर सकता है?
6-क्या राष्ट्रपति भी अनुच्छेद 201 के अंतर्गत विवेक का न्यायोचित उपयोग कर सकते हैं?
7-क्या राष्ट्रपति के लिए भी न्यायालय समयसीमा और प्रक्रिया तय कर सकता है, जब संविधान में इसका उल्लेख नहीं है?
8-क्या राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से राय लेनी चाहिए जब कोई विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजा जाता है?
9-क्या राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा विधेयक पर निर्णय लेने से पहले अदालत उस पर सुनवाई कर सकती है?
10-क्या अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय राष्ट्रपति और राज्यपाल के आदेशों को बदल सकता है?
11-क्या राज्यपाल की सहमति के बिना राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून लागू माना जाएगा?
12-क्या संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों को 5 जजों की बेंच के पास भेजना अनिवार्य है?
13-क्या अनुच्छेद 142 केवल प्रक्रियात्मक मामलों तक सीमित है या इसके तहत सुप्रीम कोर्ट संविधान के प्रावधानों से हटकर भी आदेश दे सकता है?
14-क्या अनुच्छेद 131 के तहत मुकदमे के अतिरिक्त केंद्र और राज्यों के बीच विवाद निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास अन्य कोई अधिकार क्षेत्र है?
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अगर कोई विधेयक राज्यपाल के पास ज्यादा समय तक लंबित रहता है, तो उसे स्वीकृति प्राप्त मानी जाएगी. इस पर राष्ट्रपति ने सवाल किया कि जब संविधान राष्ट्रपति और राज्यपाल को विवेक का अधिकार देता है, तो फिर न्यायपालिका इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप कैसे कर सकती है.