Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

राष्ट्रपति: बच्चों को शुरू से ही ‘सेल्फ स्टडी’ में व्यस्त रखने की जरूरत

06:27 PM Nov 20, 2023 IST | Divyanshu Mishra

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि बच्चों को शुरू से ही ‘सेल्फ स्टडी’ में व्यस्त रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति बचपन से ही स्वाध्याय करके एक अच्छा पाठक बन सकता है। उन्होंने मनोरंजक और बोधगम्य बाल साहित्य का सृजन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

HIGHLIGHTS

 

राष्ट्रपति ओडिशा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के साहित्यिक महोत्सव में उपस्थिति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सोमवार को बारीपदा, ओडिशा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव में उपस्थिति रही। यहां उन्होंने कहा कि न केवल संथाली साहित्य बल्कि सभी भारतीय भाषाओं में रोचक बाल साहित्य सृजन पर भी जोर दिया जाना चाहिए। भारत विभिन्न भाषाओं और साहित्य का एक सुंदर उद्यान है। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा और साहित्य वे सूक्ष्म धागे हैं जो राष्ट्र को एक साथ बांधते हैं और साहित्य विभिन्न भाषाओं के बीच व्यापक आदान-प्रदान से ही समृद्ध होता है। यह कार्य अनुवाद के माध्यम से संभव है। उन्होंने कहा कि संथाली भाषा के पाठकों को अनुवाद के माध्यम से अन्य भाषाओं के साहित्य से भी परिचित कराया जाना चाहिए। उन्होंने संथाली साहित्य को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

संथाली भाषा और साहित्य में योगदान दे रहे लेखकों और शोधकर्ताओं की प्रशंसा की

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने संथाली भाषा और साहित्य में योगदान दे रहे लेखकों और शोधकर्ताओं की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ 1988 में अपनी स्थापना से ही संथाली भाषा को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि 22 दिसंबर, 2003 को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में संथाली भाषा का उपयोग बढ़ गया है। उन्होंने इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, जिनके कार्यकाल के दौरान संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश संथाली साहित्य मौखिक परंपरा में उपलब्ध है। पंडित रघुनाथ मुर्मू ने न केवल ओल चिकी लिपि का आविष्कार किया है, बल्कि उन्होंने संथाली भाषा को 'बिदु चंदन', 'खेरवाल बीर', 'दारगे धन', 'सिदो-कान्हू-संथाल हूल' जैसे नाटकों की रचना करके और भी समृद्ध किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई संथाली लेखक अपने लेखन कार्य द्वारा संथाली साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि दमयंती बेसरा और काली पदा सारेन - जो खेरवाल सारेन के नाम से लोकप्रिय है – उन्हें शिक्षा और साहित्य के लिए क्रमश 2020 और 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि लेखक समाज के सजग प्रहरी होते हैं। वे अपने कार्यों से समाज को जागरूक करते हैं और उसका मार्गदर्शन करते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक साहित्यकारों ने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को राह दिखाई थी। उन्होंने लेखकों से अपने लेखन के माध्यम से समाज में निरंतर जागरूकता पैदा करने का भी आग्रह किया।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Next Article