राष्ट्रपति चुनाव 2022 : NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देगी SP की सहयोगी सुभासपा
समाजवादी पार्टी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की शुक्रवार को घोषणा की।
12:10 AM Jul 16, 2022 IST | Shera Rajput
समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की शुक्रवार को घोषणा की।
Advertisement
राजभर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रपति चुनाव में राजग की उम्मीदवार मुर्मू तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील पर उनका (मुर्मू का) समर्थन करने का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि उनकी पार्टी (सुभासपा), सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन में शामिल है।
मुर्मू का समर्थन करने की राजभर की घोषणा का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है, जबकि सपा ने उनकी आलोचना की।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन करने के लिए राजभर द्वारा उठाये गये इस कदम को ‘स्वागत योग्य’ (कदम) करार दिया है।
वहीं, सपा प्रवक्ता राजपाल कश्यप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हमारी पार्टी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन राजभर जी लगातार समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे थे और आज उन्होंने अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया।’’ कश्यप ने कहा कि ऐसा लगता है कि वह भाजपा के संपर्क में थे।
सपा के एक अन्य नेता उदयवीर सिंह ने राजभर पर आरोप लगाया कि वह रोजाना अपने बयान बदलते रहे हैं और ऐसा लगता है कि वह इस मामले में भाजपा के संपर्क में थे।
इसबीच, सुभासपा प्रमुख ने स्पष्ट किया कि सपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन बरकरार है और वह गठबंधन से अलग नहीं हो रहे हैं।
राजभर ने कहा, ‘मेरी पार्टी अभी भी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रही है।’
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मुर्मू ने खुद मुझे बताया कि वह समाज के सबसे निचले तबके से आती हैं, और उन्होंने मेरा समर्थन मांगा। इस संबंध में इसी तरह की अपील मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी। मैंने उनसे कहा था कि इस विषय पर पार्टी के विधायकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद निर्णय लिया जाएगा तथा इसके लिए 12 जुलाई की तारीख तय की गई थी।’’
हालांकि, सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना यादव का निधन हो जाने के कारण बैठक स्थगित कर दी गई थी।
राजभर ने कहा, ‘इस बीच, मुझे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फोन आया और उन्होंने खुद आदित्यनाथ और मुर्मू द्वारा की गई अपील को भी दोहराया। उन्होंने मुझे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने और पार्टी के फैसले के बारे में सूचित करने के लिए भी कहा’
राजभर ने बताया कि जब पार्टी की बैठक इस विषय को उठाया गया, तब पार्टी के सभी नेताओं ने एकमत से कहा कि 18 जुलाई के राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी के छह विधायक द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे और पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे।
विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की सात जुलाई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा द्वारा उन्हें (राजभर) आमंत्रित नहीं करने पर निराशा व्यक्त करते हुए राजभर ने कहा, ‘अखिलेश जी ने न तो मेरी और न ही हमारी पार्टी के वोट की जरूरत समझी। लेकिन इसके बावजूद, मैंने इंतजार किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मुझे उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, और उप्र के मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बैठक के बाद, पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया।’
राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन के सहयोगियों से अलग रुख अख्तियार कर भाजपा विरोधी खेमे में दरार पैदा कर दी है।
सपा ने हालिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जयंत चौधरी के रालोद, ओपी राजभर के सुभासपा, अपना दल (कमेरावादी), केशव देव मौर्य के महान दल और संजय चौहान की जनवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था।
महान दल और जनवादी पार्टी पहले ही सपा से नाता तोड़ चुके हैं। इसके अलावा, पिछले सप्ताह शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया ने भी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया था।
उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी लेकिन बाद में पार्टी (सुभासपा) सरकार से अलग हो गयी थी।
Advertisement