बेटी से बिछड़ने के गम में गोली लगने से निजी स्कूल की अध्यापिका की हुई मौत
आज सुबह-सवेरे लुधियाना के नजदीक खन्ना मंडी के गुल मोहर नगर की रहने वाली एक निजी स्कूल की अध्यापिका की गोली लगने से मौत होने की खबर मिली। अध्यापिका की पहचान अंजलि के रूप में हुई है।
02:33 PM Jan 13, 2020 IST | Shera Rajput
लुधियाना : आज सुबह-सवेरे लुधियाना के नजदीक खन्ना मंडी के गुल मोहर नगर की रहने वाली एक निजी स्कूल की अध्यापिका की गोली लगने से मौत होने की खबर मिली। अध्यापिका की पहचान अंजलि के रूप में हुई है। फिलहाल पुलिस जांच में जुटी है कि यह मामला खुदकुशी का है या फिर कत्ल का। एसएचओ खन्ना सिटी 2, कीमती लाल ने बताया कि इस मामले की जांच फिंगर प्रिंट और अन्य आधुनिक तकनीकी तरीकों से की जा रही है।
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बताया जा रहा है कि मृतका इकलौती बेटी के पढ़ाई के कारण और करियर बनाने के चक्कर में उसे विदेश भेजकर स्वयं अकेलेपन के कारण डिप्रेशन में आ गई। वह बेटी से बिछडऩे का गम सह न सकी और सोमवार सुबह खुद को पिस्तौल से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना के समय परिवार के अन्य लोग सो रहे थे।
खन्ना के गुलमोहर नगर में रहने वाली निजी स्कूल में टीचर अंजलि बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थीं। सोमवार सुबह रोजाना की तरह बच्चे ट्यूशन पढऩे आए तो किसी ने घर का मेन गेट नहीं खोला। बच्चे जब दरवाजा खडक़ाने लगे तो अंजलि के पति धरमिंदर बिस्तर से उठे। सामने देखा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। फर्श पर अंजलि की खून से लथपथ लाश पड़ी थी। उन्होंने अपनी कनपटी पर गोली मारी थी।
अंजलि के आत्महत्या करने की खबर मिलते ही मोहल्ले के लोग उनके घर पर इकठ्ठा हो गए। थोड़ी देर बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट इंस्पेक्टर पवनदीप सिंह और अन्य अधिकारी भी पहुंचे। उन्होंने लाश को कब्जे में ले कर जांच शुरू की। इंस्पेक्टर पवनदीप सिंह ने बताया कि कि फिलहाल मामला खुदकशी का लग रहा है। .32 बोर की पिस्तौल में काफी समय से पड़ी एक गोली से मौत हुई है।
अंजलि की एक ही बेटी थी, जो पढ़ाई करने कनाडा गई हुई है। घर में अक्सर अकेली रहने करके वह मानसिक तनाव का शिकार हो गई थी। उसकी इस बीमारी का इलाज चल रहा था। पति धरमिंदर ने रोते हुए बताया कि, सानूं ता कनाडा खा गया।
जानकारी के अनुसार मृतका, खन्ना के एएस मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल की साइंस पढ़ाती थीं। साइंस विषय पढ़ाने में अंजलि को इतनी महारत हासिल थी कि उन्हें क्षेत्र में लोग गॉडे ऑफ साइंस कहते थे। इलाके के कई स्कूलों के बच्चे उनके पास ट्यूशन पढने आते थे।
– सुनीलराय कामरेड
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