पेट के साथ मूड का भी ख्याल रखता है प्रोबायोटिक्स, मेंटल हेल्थ को करते हैं बूस्ट
प्रोबायोटिक्स: मेंटल हेल्थ के लिए वरदान
आज हम सब ऐसे कामों के कारण खुद को हर बार मानसिक थकान देते हैं, उदास और खोया-खोया सा महसूस करते हैं। इसको दूर करने के लिए हम बहुत से उपाय करते है। जैसे- मेडिटेशन, योगा, एक्सरसाइज़ यहाँ तक की बहुत बार कई लोग डॉक्टर और दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन यह उपाय हर किसी पर काम नही करता। लेकिन हाल ही में हुए एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पता चला हैं कि प्रोबायोटिक्स न केवल पाचन तंत्र को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि दही, अचार, और किमची जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ मूड सुधारने और तनाव कम करने में मदद करता हैं। शोध में पाया गया है कि प्रोबायोटिक्स का सेवन करने से मानसिक थकान, चिंता और डिप्रेशन में कमी आती है। हालांकि शोधकर्ताओ का मानते हैं कि इस दिशा में अभी और शोध की ज़रूरत है, परंतु अब तक के परिणाम सकारात्मक उम्मीद दिलानेवाले हैं।
आज के समय में लोगो की जि़ंदगी इतनी व्यस्त हो गई है कि मानसिक थकान, चिंता और डिप्रेशन बहुत आम चुनौती बन गई हैं। अब, वो चाहे ऑफिस का काम हो, पारिवार की जिम्मेदारी या कोई खुद की निजी उलझन हो, आज हम सब ऐसे कामों के कारण खुद को हर बार मानसिक थकान देते हैं, उदास और खोया-खोया सा महसूस करते हैं। इसको दूर करने के लिए हम बहुत से उपाय करते है। जैसे- मेडिटेशन, योगा, एक्सरसाइज़ यहाँ तक की बहुत बार कई लोग डॉक्टर और दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन यह उपाय हर किसी पर काम नही करता।
ऐसे में हाल ही में हुई एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान ने एक ऐसी चौंका देनेवाली बात का पता लगाया है जिसने लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण की भूमिका निभाई है खासकर वो जो लंबे समय से मानसिक तनाव या उदासी से परेशान हैं।
असल में रिसर्च में पता चला है कि- हमारे पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया यानी प्रोबायोटिक्स न सिर्फ हमारे पाचन क्रिया को दुरुस्त करता हैं बल्कि हमारे गट-ब्रेन कनेक्शन की मदद से मेंटल हेल्थ को भी संतुलित कर मूड को बेहतर बनाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रोबायोटिक्स से भरपूर आहार जैसे- ताज़ा दही, सौंठ वाला अचार, कांजी, किमची या फर्मेंटेड ड्रिंक्स को अपने रोजमर्रा के खान-पान में शामिल करते है तो यह चीजे ना केवल हमारे पाचन को ठीक कर पेट को साफ रखता है बल्कि यह हमारे भावनाओ को भी सकारात्मक रखता है साथ ही यह न्यूरोट्रांसमीटर्स को भी प्रभावित जो हमे मानसिक शाँति यानी मानसिक रूप से हल्कापन और खुशी का ऐहसास कराता है।
क्या हैं प्रोबायोटिक्स
प्रोबायोटिक्स यानी गुड बैक्टीरिया, यह हमारे शरीर में खासकर हमारे पाचन तंत्र में मुख्य रूप से पाएँ जाते है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत, पोषक तत्वों के अवशोषण करने और खराब बैक्टीरिया को काबू में रखने का काम करता हैं।
साथ ही प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर में ऐसे रसायन छोड़ता है जो पेट के साथ-साथ मन को भी हल्का और खुश रखने में मदद करता हैं।
गट-ब्रेन का कनेक्शन
बहुत लोगो को यह नही पता होता है कि हमारे पेट और दिमाग के बीच एक गहरा कनेक्शन होता है जिसे गट-ब्रेन एक्सिस या Gut Feeling कहते हैं। असल में, पेट में मौजूद बैक्टीरिया सीधे हमारे न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित करता हैं जो हमारे सोच के साथ -साथ मूड और भावना को काबू करता है।
इसलिए तो जब हमारे आंतों में प्रोबायोटिक्स की मात्रा सही होती है तो सूजन और तनाव का प्रभाव कम होता हैं। वही जब आंतों में गड़बड़ी होती है तो उससे मूड चिड़चिड़ा, थका हुआ या उदास हो जाता है।
प्रोबायोटिक्स किससे मिलता है?
प्रोबायोटिक्स किसी महंगे सप्लीमेंट्स में नही बल्कि आपके घर के खाने में असानी से और भर-पूर मात्रा में पाया जाता है।
यह आपको दही, कांजी यानी काले गाजर से बनी पारंपरिक ड्रिंक, घर का बना अचार, किमची और सॉरक्रॉट, इडली-डोसा का बैटर में असानी से मिल जाता है।
वैज्ञानिको को क्या पता चला?
रिसर्च में पता चला है कि प्रोबायोटिक लेनेवाले व्यक्तियों का पाचन शक्ति के साथ मूड भी बेहतर हुआ है।
इसके अलावा वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि- तनाव, चिंता और उदासी भी पहले के मुकाबले कम हुई है साथ ही सोच-विचार की क्षमता और नींद में भी काफी सुधार हुआ है।
इस शोध से पता चला है कि- प्रोबायोटिक्स सोचने-समझने की क्षमता और नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। इस शोध से यह संकेत मिला कि प्रोबायोटिक्स न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि भावनात्मक स्वास्थ्य में भी योगदान देता।
हालांकि शोधकर्ताओ का मानते हैं कि इस दिशा में अभी और शोध की ज़रूरत है, परंतु अब तक के परिणाम सकारात्मक उम्मीद दिलानेवाले हैं।