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प्रयागराज में इस दिन से होगा माघ मेला शुभारंभ, जानिए इस महीने के प्रमुख त्योहार और धार्मिक महत्व

भारत का सबसे पवित्र स्‍थल जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस जगह पर माघ मेला पौष माह के पूर्णिमा में लगता है। हिंदू शास्‍त्रों में इस महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है।

10:31 AM Jan 06, 2020 IST | Desk Team

भारत का सबसे पवित्र स्‍थल जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस जगह पर माघ मेला पौष माह के पूर्णिमा में लगता है। हिंदू शास्‍त्रों में इस महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है।

भारत का सबसे पवित्र स्‍थल जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस जगह पर माघ मेला पौष माह के पूर्णिमा में लगता है। हिंदू शास्‍त्रों में इस महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है। स्नान दान आदि इन सबका महत्व इस महीने में होता है। 
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यह मेला प्रयागराज में लगता है और इस साल 10 जनवरी यानी शुक्रवार से लगेगा। बता दें कि महाशिवरात्रि तक यह मेला चलता है। 21 फरवरी यानी शुक्रवार को इस साल महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इसका मलतब यह मेला 10 जनवरी से लेकर 21 फरवरी तक यानी 43 दिनों तक चलेगा। चलिए इस महीने के धार्मिक महत्व के बारे में आपको बताते हैं। 
धार्मिक महत्व माघ माह का
माघ महीने की शुरुआत 21 जनवरी मंगलवार से इस साल शुरु हो रही है। हिंदू कैलेंडर में हर महीने का नाम नक्षत्र पर रखा जाता है। इस महीने को माघ महीना मघा नक्षत्र की वजह से कहते हैं। हिंदू धर्म में माघ मास का विशेष महत्व सभी महीनों में होता है। 
दान-पुण्य, धर्म-कर्म और त्याग  के लिए इस महीने को कहा जाता है। हिंदू पंचांग में इस महीने को ग्यारहवां महीना साल का मानते हैं। माघ मास के मुताबिक कम से कम एक बार मनुष्य को किसी भी पवित्र नदी में जरूर स्नान करना चाहिए। इस महीने के प्रमुख त्योहाराें के बारे में आपको बताते हैं। 
षटतिला एकादशी 

शास्‍त्रों में बताया गया है कि इस महीने पूजा-अर्चना और स्नान ध्यान करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी भी माघ महीने में आती है। जल में तिल डालकर स्नान करने की इस दिन परंपरा होती है। दान में काले तिल से बनी हुई साम्रगी भी इस दिन देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पापों का नाश हो जाता है। 
भीमाष्टमी

भीमाष्टमी इस महीने की शुुक्ल पक्ष अष्टमी को कहते हैं। शास्‍त्रों में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण होने पर इस दिन अपने प्राण-त्याग दिए थे। ऐसी मान्यता है कि मनुष्य के सारे पाप इस दिन स्नान-दान और पूजा-अर्चना करने से नष्ट होते हैं। 
मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या इस महीने की कृष्‍ण पक्ष को आती है। मौन धारण करने की परंपरा इस दिन की होती है। इसके अलावा बसंत पंचमी भी इस महीने आती है। विद्या, बुद्धि, ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा इस दिन करते हैं। यह दिन विशेष महत्व होता है छात्रों के जीवन में। 
माघी पूर्णिमा

माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ही अचला सप्ती का व्रत रखते हैं। अचला भानू सप्तमी भी सप्तमी को कहते हैं। यह दिन बेहद ही शुभ माना गया है। माघी पूर्णिमा भी इस महीने आती है। इस पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से इस दिन शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करती हैं। वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में इसके अंश होते हैं। यही वजह है कि सारे रोगों से मुक्ति दिलाने के इसमें गुण पैदा होते हैं। सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति इस माघ पूर्णिमा में स्नान-दान करने से होती है। 
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