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सार्वजनिक बैंकों में घटेगी सरकारी हिस्सेदारी

पहले चरण में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर कम से कम 52 प्रतिशत पर लाने की आवश्यकता है। इसके बाद बाजार स्थिति के अनुसार बैंक इस दिशा में और आगे कदम बढ़ा सकते हैं।

12:09 PM Jan 15, 2019 IST | Desk Team

पहले चरण में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर कम से कम 52 प्रतिशत पर लाने की आवश्यकता है। इसके बाद बाजार स्थिति के अनुसार बैंक इस दिशा में और आगे कदम बढ़ा सकते हैं।

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक बैंकों (पीएसयू) से सरकार की शेयर हिस्सेदारी को धीरे-धीरे कम करके 52 प्रतिशत तक लाने के लिए कहा है। मंत्रालय का मानना है कि बैंकिंग कंपनियों के अच्छे संचालन केलिए ऐसा करना अच्छा होगा। मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि सरकार सार्वजिनिक बैंकों में निश्चित तौर पर सबसे बड़ी हिस्सेदार है। इस लिए इसमें कंपनी संचालन की सवेश्रेष्ठ परिपाटी के अनुसार बदलाव करने की जरूरत है।

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पहले चरण में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर कम से कम 52 प्रतिशत पर लाने की आवश्यकता है। इसके बाद बाजार स्थिति के अनुसार बैंक इस दिशा में और आगे कदम बढ़ा सकते हैं। इसकी अनुमति उनके पास होगी। सरकार की हिस्सेदारी कम करने से बैंकों को बाजार नियामक सेबी के नियमों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। सेबी के मुताबिक, सूचीबद्ध कंपनियों को कम से कम 25 प्रतिशत शेयरों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना होता है।

कुछ सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ज्यादा है। हिस्सेदारी घटने से बैंक कर्ज से जुड़े नियमों का पालन करने के लिये प्रोत्साहित होंगे। कुमार ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वर्तमान में केंद्र की आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि 35 प्रतिशत प्रायोजक बैंकों और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य सरकारों की हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक ने पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री की प्रक्रिया शुरू की है। क्यूआईपी के बाद सरकार की हिस्सेदारी कम हो जायेगी। मौजूदा समय में सरकारी की स्टेट बैंक में 58.53 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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