Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

गुनाहों के गुरु को सजा

NULL

12:31 AM Apr 26, 2018 IST | Desk Team

NULL

अन्ततः स्वयंभू गुरु आसाराम बापू को जोधपुर की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुना ही दी। जबकि 2 अन्य दोषियों को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई। एक ऐसा व्यक्ति जो अपने शिष्यों को सच्चिदानन्द ईश्वर के अस्तित्व का उपदेश देता रहा और करोड़ों भक्त अनुयायी उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित करते हैं। आसाराम का सामान्यतः विवादों से रिश्ता रहा है, जैसे आपराधिक मामलों में उनके खिलाफ दायर याचिकाएं,

उसके आश्रम द्वारा अतिक्रमण, 2012 दिल्ली दुष्कर्म पर उसकी टिप्पणी और 2013 में नाबालिग लड़की का शोषण। आसाराम पर लगे आरोपों की परत एक के बाद एक खुलती गई। आरोपों की आंच उसके बेटे नारायण साईं तक भी पहुंची। एक के बाद एक घिनौने काण्ड सामने आते गए। हमारा भारत बहुत महान है। यह जगद्गुरु है, देवभूमि है। यहां के वातावरण में वेदमंत्र गूंजते हैं जिनमें समस्त प्राणियों का हित होता है।

ऐसे सूत्र वाक्य हैं जिनमें भावनावश केवल भारतवासी ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों के लोग प्रभावित होते रहते हैं। ऐसे लोग मोक्ष आैर परम आनन्द की प्राप्ति के लिए साधु-सन्तों के आश्रमों की ओर लाखों की संख्या में पहुंचते रहे हैं लेकिन विडम्बना यह है कि अब भौतिकवादी युग में धर्म के नाम पर व्यापारवाद का चलन जोर पकड़ता गया। फलस्वरूप भारतीय दर्शन-सन्तों के आश्रम भी पाखण्ड और व्यभिचार के अड्डे बने हुए हैं।

आये दिन इनकी करतूतें सार्वजनिक होती रहती हैं। हैरानी तब होती है कि इन सबके बावजूद भी अनुयायियों में श्रद्धाभाव कम होता दिखाई नहीं दे रहा। यदि श्रद्धा कम भी हुई होगी तो वह नजर नहीं आ रही। इसी अंधश्रद्धा का फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में छद्म वेषधारियों ने भी अपने आपको साधु-बाबाओं की जमात में शामिल कर लिया। धर्म के नाम पर इस जमात ने जमीनें कौड़ियों के दाम लेकर आलीशान इमारतें बना डालीं, वह भी जनता के पैसों से।

इन कोठीनुमा भवनों का नाम तो आश्रम रख दिया जाता है, लेकिन यहां विलासिता के सभी सामान मौजूद हैं। यदि बीच-बीच में अदालतें इन चेहरों का नकाब न उतारती रहतीं तो वक्त के अंधेरे में यह और न जाने क्या-क्या कर डालें। राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला में हिंसा का ताण्डव पूरे राष्ट्र ने देखा।

हिंसा में अनेक लोगों की जानें गईं। इससे पूर्व ​हरियाणा के तथाकथित सन्त रामपाल के बरवाला आश्रम के बाहर आैर भीतर हिंसा का ताण्डव हुआ। स्वामी नित्यानन्द, चित्रकूट वाले बाबा भीमानन्द, ​दिल्ली के रोहिणी आश्रम में वीरेन्द्रानन्द के सैक्स रैकेट सामने आ चुके हैं। आसाराम का अपराध घृणित तो है ही, साथ ही उन करोड़ों लोगों से विश्वासघात है, जो उनमें अथाह आस्था रखते हैं।

हैरानी की बात तो यह है कि आसाराम को दोषी करार देने पर उनके अनुयायी आंसू बहाते देखे गए। वे आज भी मानने को तैयार नहीं कि आसाराम ने घिनौना अपराध किया है। एक सवाल यह है कि आखिर साधु-सन्त बनते कैसे हैं? हम लोग ही किसी व्यक्ति को साधु-सन्त या महाराज बनाया करते हैं। जब ऐसा व्यक्ति, जिसको हमने महात्मा बनाया, उचित आचरण नहीं करता है तो हम विचलित हो उठते हैं, हिंसात्मक उपद्रव करते हैं।

ईश्वर की सत्ता है, इससे कोई धर्मनिष्ठ व्यक्ति इन्कार नहीं कर सकता लेकिन आप अपने भीतर झांककर देखिये कि कहीं धर्मगुरुओं के पीछे लगकर आप अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से पलायन तो नहीं कर रहे। कुछ लोग अपनी पूरी ऊर्जा आस्था के नाम पर ढोंगी लोगों के यहां समय गुजार कर नष्ट कर देते हैं जबकि ढोंगी लोग स्वयं भोग-विलास में लिप्त रहते हैं।

एक दौर ऐसा था कि धर्मक्षेत्र से जुड़े साधु-सन्त मायावी प्रलोभनों से दूर रहकर समाज को संस्कारित करने, धार्मिक आचार-व्यवहार से शिक्षित-दीक्षित करने में प्राथमिक भूमिका निभाते हुए स्वयं सात्विक सरल जीवन जीते थे लेकिन आज न तो साधु-सन्तों का कोई चरित्र रह गया, न ही इनमें त्याग-तपस्या जैसा कुछ नजर आता है। धर्म का अर्थ धारण करना होता है, धर्म को धारण करने वाले व्यक्ति का आचरण भी आध्यात्मिक होना चाहिए जबकि अंधविश्वास व्यवसाय है।

कितने ही ऐसे महापुरुष हुए जिनको भगवान का अवतार माना गया लेकिन उन्होंने कभी अपनी पूजा नहीं करवाई बल्कि ​जीवनभर लोगों को मानवता की भलाई के लिए संदेश देते रहे। सन्त तो अपना प्यार सर्वत्र फैलाकर अनुयायियों को प्रेम और भक्ति के मार्ग पर लगा देते हैं। सन्त कबीर ने कहा हैः

संगत कीजै साध की, ज्यों गंधी का वास, जो कुछ गंधी दे नहीं ताे भी वास सुवास। यानी इत्र बेचने वाले के पास जो सुगंध का आनन्द मिलता है, ऐसे ही साधु पुरुषों की संगति में सहज ही सात्विकता, शांति आैर चित्त की एकाग्रता का अनुभव होता है।

आसाराम की करतूत हिन्दू धर्म, सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति पर बहुत बड़ा आघात है आैर अदालत का फैसला अंधश्रद्धा में डूबे लोगों के लिए भी एक चेतावनी है। कब तक सोते रहोगे? अपनी संस्कृति पर कुठाराघात कब तक सहन करोगे। अंधविश्वास से निकलो, वास्तविकता को पहचानो और इन्सा​नियत को अपना धर्म बनाओ। गुनाह के गुरुओं को जेल भेजा जाना ही उचित है। जोधपुर की अदालत का फैसला ऐतिहासिक साबित होगा।

Advertisement
Advertisement
Next Article