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पंजाब (Punjab) के सीएम भगवंत मान की मध्यस्थता के बाद हुई केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठन के नेताओं की चंडीगढ़ की बैठक में फिलहाल कोई हल नहीं निकला। किसानों ने कहा कि सरकार 12 फरवरी से पहले हमारी मांगों पर विचार करके हमें जवाब दे। उन्होंने कहा कि अभी 13 फरवरी से शुरू होने वाले दिल्ली कूच और किसान आंदोलन की रणनीति जस की तस बनी रहेगी और किसान 13 फरवरी को दिल्ली की और कूच करने की तैयारी पहले से कर रहे हैं और अभी भी करेंगे।
आपको बता दें बैठक के बाद सीएम मान ने कहा कि किसान संगठनों की केंद्र सरकार के साथ संबंधित मांगों को लेकर किसान नेताओं के साथ बैठक हुई। केंद्र सरकार की और से तीन मंत्री इस मीटिंग में शामिल हुए। सीएम ने कहा कि बड़ी लंबी और विस्तार से चर्चा हुई। दोनों तरफ से बहुत सारे पक्ष रखे गए। किसान आंदोलन के वक्त जो किसान संगठनों से वादे किए गए थे। उन पर सहमति बनाने का प्रयास हुआ।
इसके साथ ही सीएम ने कहा कि मैं पंजाब सरकार की और से किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों और केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं। सीएम ने कहा कि ये हम या किसान नहीं चाहते कि वो अपनी मांगे मनवाने के लिए इस तरह का संघर्ष करें और ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर आए और लाठी-डंडों और आंसू गैस के गोलों का सामना करें और कोई नुकसान हो। आगे भी किसानों की कमेटी से ये बातचीत होनी थी, इसलिए हमने पहले ही उस कमेटी को बुला लिया।
पराली जलाने को लेकर सीएम ने कहा कि किसानों पर जो मामले दर्ज होते हैं वो भी मुद्दा हमने उठाया है और किसानों की और से हमने कहा है कि अगर धान लगाने की बजाय दालों की फसल को केंद्र सरकार बढ़ावा दे तो पंजाब और अन्य राज्यों का पानी भी बचेगा और किसानों को भी फायदा होगा, लेकिन ऐसी फसलों की एसएसपी तय करनी होगी।
किसानों ने अभी केंद्रीय मंत्रियों और पंजाब के सीएम भगवंत मान को इतना ही कहा है कि 13 फरवरी को किसान आंदोलन से जुड़े संगठनों का दायरा काफी बड़ा है और केंद्र सरकार के साथ जो बातचीत हुई है। उसे वो बाकी संगठनों के साथ शेयर करेंगे उसी के बाद आगे की रणनीति पर फैसला होगा।
एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी। किसानों व मजदूरों को कर्ज से मुक्ति दिलाई जाए। दिल्ली आंदोलन के किसानों पर दर्ज पर्चे रद्द करें। 2021 में जब किसानों और सरकार के बीच बैठक हुई थी तो ये सहमति बनी थी। विद्युत संशोधनबिल को निरस्त किया जाए। किसानों को प्रदूषण अधिनियम से बाहर रखा जाए। फसल बीमा योजना को सरकार को अपने स्तर पर लागू करना चाहिए.विदेशों से आयात होने वाली फसलों पर टैक्स में छूट नहीं मिलनी चाहिए। भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों की बात सुनी जानी चाहिए। आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार मिला। मनरेगा में 200 दिन का रोजगार 700 रुपये प्रतिदिन मिलता था। लखीमपुर खीरी को न्याय मिलना चाहिए।