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AAP के 20 विधायक अयोग्य करार, राष्ट्रपति ने EC की सिफारिश पर लगाई मुहर

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04:10 PM Jan 21, 2018 IST | Desk Team

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aap के 20 विधायक अयोग्य करार  राष्ट्रपति ने ec की सिफारिश पर लगाई मुहर
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दिल्ली की केजरीवाल सरकार को राष्ट्रपति से भी बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग की सिफारिश पर अमल करते हुए राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों अयोग्य करार दे दिया है। बता दें कि दो दिन पहली ही लाभ का पद के मामले में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से 20 आप विधायकों को लाभ के पद पर काबिज होने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी। जिसके बाद चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है, अब आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य करार दे दिए गए हैं।

अयोग्य करार किए गए ये है AAP के 20 विधायक 

– आदर्श शास्त्री, द्वारका

– अल्का लांबा, चांदनी चौक

– संजीव झा, बुरारी

– कैलाश गहलोत, नजफगढ़

– विजेन्द्र गर्ग, राजेन्द्र नगर

– प्रवीण कुमार, जंगपुरा

– शरद कुमार चौहान, नरेला

– मदन लाल खुफिया, कस्तुरबा नगर

– शिव चरण गोयल, मोती नगर

– सरिता सिंह, रोहतास

– नरेश यादव, महरौली

– राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर

– राजेश ऋषी, जनकपुरी

– अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर

– सोम दत्त, सदर बाज़ार

– अवतार सिंह, कालकाजी

– सुखवीर सिंह डाला, मुंडका

– मनोज कुमार, कोंडली

– नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

– जनरैल सिंह, तिलक नगर

क्या है पूरा मामला? 

13 मार्च 2015 में केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया और हल्ला मचने पर जून में सरकार ने विधानसभा में बिल पास करवाया जिसे राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दिया। हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई थी।

दरअसल, प्रशांत पटेल नाम के एक सज्जन ने 19 जून 2015 को राष्ट्रपति के पास शिकायत भेजी। इसमें कहा गया कि आप ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना कर लाभ के पद पर रखा है। उन्हें अलग दफ्तर दिया गया है, फोन का इस्तेमाल हो रहा है और पेट्रोल का खर्चा दिया जा रहा है। हालांकि आप की तरफ इस सभी विधायकों ने अलग से तनख्वाह या भत्ते लेने से इनकार किया था।

उधर, राष्ट्रपति ने पटेल की अर्जी को चुनाव आयोग के पास भेजा तो उधर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा से लाभ के पद के कारण अयोग्य ठहराने के प्रावधान को खत्म करने का बिल पास करवाया। दूसरी ओर एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में लगाई गई जिसने 8 सिंतबर 2016 को इन संसदीय सचिवों की पद पर नियुक्ति को रद्द कर दिया। इसके बाद ही तय हो गया था कि चुनाव आयोग का फैसला भी खिलाफ आ सकता है।

क्या है लाभ का पद? 

लाभ के पद की व्याख्या संविधान में की गई है और उसका किसी भी कीमत पर उल्लंघन नहीं होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) और आर्टीकल 19 (1) (ए) में इसका उल्लेख किया गया है।

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